नई दिल्लीः रिज़र्व बैंक ने दिसंबर की मॉनिट्री पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की मीटिंग में रेपो रेट को 35 बेसिस प्वाइंट से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है. अब तक 2023 के वित्तीय वर्ष में एमपीसी 190 बेसिस प्वाइंट बढ़ा चुकी है. हाल का रेपो रेट का बढ़ना नए रिटेल लोन लेने वालों को प्रभावित करेगा. अगस्त 2018 से यह अब तक के उच्चतम स्तर पर है.
इस मीटिंग में रेपो रेट के बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि सेंट्रल बैंक महंगाई को लगातार काबू करने की कोशिश कर रही है. इसका फैसला आरबीआई गवर्नर श्रीकांत दास ने बहुमत के आधार पर लिया. एमपीसी में 6 सदस्य होते है जिनमें से तीन मेंबर आरबीआई से और तीन एक्सटर्नल एक्सपर्ट होते हैं.
इसके अलावा आरबीआई गवर्नर ने कहा कि स्टैंडिग डिपोजिट फैसिलिटी (SDF रेट) को 6% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी(MSF रेट) व बैंक रेट को 6.5% तक एडजस्ट किया गया है. अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति दर 4% से ऊपर रहने की उम्मीद है.
दास ने कहा कि FY23 के लिए CPI मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 6.7% पर बरकरार है. रेपो रेट में 0.35% की बढ़ोतरी हुई, 0.35% बढ़ाकर 6.25 % हुआ.
जीडीपी एस्टीमेट्स के मामले में उन्होंने कहा कि आरबीआई के सभी सकारात्मक फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ के 6.8 रहने की उम्मीद है.
लोन की ब्याज दरों के प्रभाव को कम करने के लिए घर खरीदने वाले अपने लोन की अवधि को बढ़ा सकते हैं. हालांकि, जितना जल्दी जल्दी लोन के अमाउंट को देकर लोन खत्म कर दिया उतना बेहतर होता है.
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