scorecardresearch
Thursday, 28 March, 2024
होमदेशअर्थजगतविश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत में GDP के विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.9% किया

विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत में GDP के विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.9% किया

पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में भारत की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी. चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी है.

Text Size:

नई दिल्लीः विश्व बैंक ने मजबूत आर्थिक गतिविधियों के कारण चालू वित्त वर्ष (2022-23) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ के पूर्वानुमान को संशोधित कर 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है.

विश्व बैंक ने मंगलवार को जारी भारत से संबंधित अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2011-22 में 8.7 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 22-23 में 6.9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर बनी हुई है और दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं. इस वजह से पूरे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाया जा रहा है.

पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में भारत की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी है.

विश्व बैंक ने पिछले साल अक्टूबर में रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक स्तर पर सख्त होती मौद्रिक नीतियों के कारण भारत की विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी किया था. इससे पहले का अनुमान 7.1 फीसदी था. अब एक बार फिर विश्व बैंक ने इसमें बदलाव करते हुए इसे बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा है कि मजबूत आर्थिक गतिविधियों के कारण विश्व बैंक ने भारत के 2022-23 के जीडीपी के विकास के अनुमान को रिवाइज कर 6.5 प्रतिशत के पहले के अनुमान से 6.9 प्रतिशत कर दिया है.

शर्मा ने कहा, ‘वर्तमान भारत 10 साल पहले के तुलना में कहीं अधिक लचीली है. पिछले 10 साल में जो भी कदम उठाए गए वह आज विपरीत वैश्विक परिस्थितियों में भारत की मदद कर रहे हैं.’

विश्व बैंक ने कहा, ‘अमेरिका, यूरो क्षेत्र और चीन के घटनाक्रमों का असर भारत पर भी देखने को मिल रहा है.’

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सीपीआई आधारित खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी के संकेत दिख रहे हैं.

हालांकि, विश्व बैंक ने भरोसा जताया है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी. विश्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 7.1 प्रतिशत पर रहेगी. गौरतलब है कि ये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के संतोषजनक दायरे से काफी ऊपर है.

अक्टूबर में मुद्रास्फीति पिछले महीने के 7.41 प्रतिशत से घटकर 6.77 प्रतिशत हो गई. खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी गिरावट का कारण रही.

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्ते तानो काउमे ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ते बाहरी वातावरण के प्रति उल्लेखनीय रूप से लचीली रही है, और मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक, फंडामेंटल ने इसे अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अच्छी स्थिति में रखा है.’


यह भी पढ़ेंः भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था कैसे सिकुड़ रही है और लंबे समय के लिए अच्छी खबर क्यों है


 

share & View comments