नई दिल्ली: लगातार मुश्किलों का सामना कर रहा अडानी समूह अपने द्वारा लिए गए कर्जें के समय पूर्व भुगतान के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बयानों एवं इस समूह को उधार देने वाले संस्थानों द्वारा उठाये गए कदमों की बदौलत अब घरेलू स्तर पर खुद को अधिक सुरक्षित स्थिति में पा रहा है. लेकिन विदेशों में, इसे कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है – न केवल विभिन्न देशों के नियामक समूह हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा इस समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे हैं, बल्कि कई सारे ‘वेल्थ फंड’ भी अडानी समूह की कंपनियों के साथ अपने संबंध तोड़ रहे हैं.
जब से अमेरिकी शार्ट सेलर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ ने 24 जनवरी को जारी अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह द्वारा कॉर्पोरेट कदाचार, शेयरों की कीमत में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, तभी से यह समूह घरेलू और साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगी आग को बुझाने की कोशिश कर रहा है.
उधारदाताओं को आश्वस्त करने के एक तरीके के रूप में, अडानी समूह ने सोमवार को कहा कि उसने 1.11 अरब डॉलर के उन कर्जों का समय से पहले भुगतान कर दिया, जो अगले साल सितंबर में देय होने थे. फिर गुरुवार को, इस समूह ने कहा कि वह $500 मिलियन की अतिरिक्त कर्ज राशि का भी समय पूर्व भुगतान कर रहा है .
पिछले शुक्रवार को जारी किये गए एक दुर्लभ बयान में, आरबीआई ने भी इस बात को स्पष्ट किया कि बैंकिंग क्षेत्र ‘लचीला और स्थिर’ है, यह एक ऐसी टिप्पणी थी जो समाचार माध्यमों में आई उन ख़बरों के जवाब में की गई थी, जिनमें इस ‘व्यापार समूह’ के प्रति भारतीय बैंकों के वित्तीय जोखिम के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी. लगभग उसी समय, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, एक्सिस बैंक और इंडसइंड बैंक जैसे जिन भारतीय बैंकों ने अडानी समूह को भारी मात्रा में कर्ज दे रखा है, उन्होंने अडानी समूह के प्रति अपने जोखिम का खुलासा करते हुए अपने निवेशकों और आम जनता को आश्वस्त किया कि इन ऋणों को कोई खतरा पैदा नहीं होने वाला है.
इसी तरह, पिछले हफ्ते पेश किये गए बजट के बाद दिए गए अपने साक्षात्कार में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अडानी समूह की कंपनियों में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा किया गया निवेश स्वीकार्य सीमा के भीतर ही हैं. खुद एलआईसी ने सरकार को बताया कि इन निवेशों को किये जाने के समय उसने निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया और उचित तरीके से काम किया था.
अगर अडानी समूह के शेयरों की कीमतें कोई संकेत देतीं हैं, तो ये आश्वासन भारत के भीतर काम कर रहे दिखते हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान, समूह की प्रमुख कंपनी, अडानी एंटरप्राइजेज, के शेयर की कीमत में 26 प्रतिशत की रिकवरी हुई है.
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लेकिन विदेशी कंपनियां और सरकारें आश्वस्त नहीं दिखतीं
लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात आती है तो कहानी कुछ अलग तरह की दिखती है. अडानी समूह की कंपनियों के प्रति घटते विश्वास को रेखांकित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाइयों की ही एक कड़ी के रूप में नॉर्वे के $1.35 ट्रिलियन कोष वाले ‘सॉवरेन वेल्थ फंड’ द्वारा गुरुवार को अडानी समूह की तीन कंपनियों – अडानी टोटल गैस, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन, और अडानी ग्रीन इनर्जी – में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया गया.
उसी समय, अंतरराष्ट्रीय सूचकांक सेवा प्रदाता मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल (एमएससीआई) ने कहा कि वह अडानी कंपनियों के शेयरों की उस संख्या में कटौती कर रहा है जिनका मुक्त रूप से कारोबार किया जा सकता है, और इसकी वजह से ही भारत के शेयर बाजारों में अडानी के शेयरों की कीमत में गिरावट का एक नया दौर आया है.
संयोग से, इस निर्णय के बाद, हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने ट्वीट किया कि वे इसे अडानी समूह द्वारा ‘ऑफशोर स्टॉक पार्किंग’ पर दिए गए उनके निष्कर्षों की पुष्टि के रूप में देखते हैं
यह खबर विभिन्न देशों और स्टॉक एक्सचेंजों के सरकारी नियामकों द्वारा पिछले सप्ताह की गई घोषणाओं की एक लंबी श्रृंखला के बाद आई है. पिछली 1 फरवरी को, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने खबर दी थी कि उनके देश का कॉर्पोरेट नियामक – ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटीज एंड इंवेस्टमेंट्स कमीशन (ऑस्ट्रेलियाई प्रतिभूति और निवेश आयोग) – हिंडनबर्ग रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है.
अभी हाल ही में, 8 फरवरी को, यह खबर सामने आई थी कि ब्रिटेन की फाइनेंसियल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) ने अडानी समूह और इलारा कैपिटल, जो कथित तौर पर अडानी समूह के साथ काफी करीब से जुड़ी हुई कंपनी है, के खिलाफ जांच शुरू की है.
अडानी समूह द्वारा किए गए लेन-देन का लेकर चल रहा ऑडिट इसके व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित करता दिख रहा है – फ़्रांस की तेल उत्खनन कंपनी टोटल-एनर्जीज ने बुधवार को कहा कि उसने पिछले साल घोषित उस अनुबंध पर अभी तक भी हस्ताक्षर नहीं किए जिसके तहत ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए इस समूह के साथ उसकी साझेदारी का विस्तार किया गया था.
टोटल-एनर्जीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पैट्रिक पॉयने ने कहा, ‘यह (समझौता) घोषित किया गया था, किसी भी चीज पर हस्ताक्षर नहीं किया गया था. यह अस्तित्व में है हीं नहीं. अडानी समूह के पास अब निपटने के लिए कई अन्य मसले हैं, ऑडिट के आगे बढ़ने तक चीजों को रोक देना ही अच्छा है.
(अनुवादः रामलाल खन्ना | संपादनः ऋषभ राज)
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