शिमला, 13 अगस्त (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि हिमाचल प्रदेश का बकाया ऋण और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अनुपात 15वें वित्त आयोग के निर्धारित लक्ष्य से काफी अधिक है।
शनिवार को राज्य विधानसभा में पेश कैग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल का कुल बकाया ऋण-जीएसडीपी अनुपात 42.91 प्रतिशत रहा है जो 15वें वित्त आयोग द्वारा तय किए लक्ष्य से ज्यादा है। वित्त आयोग ने इसके लिए 36 प्रतिशत की ऊपरी सीमा तय की हुई है।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए तैयार इस रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि राज्य सरकार ने अप्रैल 2005 में हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एचपी-एफआरबीएम) अधिनियम पारित किया था जिसमें घाटा और कर्ज को कम करने के लिए मात्रात्मक लक्ष्यों का उल्लेख किया गया था।
कैग के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश को घाटे और ऋण स्तरों के लिए संशोधित लक्ष्य तय करने के लिए इस अधिनियम में संशोधन करने की जरूरत थी लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया।
यह रिपोर्ट कहती है कि वित्त आयोग की अनुशंसा और इस अधिनियम में निर्धारित राजस्व अधिशेष को बनाए रखने के लक्ष्य के विपरीत वित्त वर्ष 2020-21 में 97 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। हालांकि वास्तविक राजकोषीय घाटा जीएसडीपी के 3.64 प्रतिशत के साथ वित्त आयोग की अनुशंसा के भीतर ही रहा लेकिन एफआरबीएम अधिनियम में निर्धारित लक्ष्यों से अधिक था।
कैग की रिपोर्ट कहती है कि हिमाचल प्रदेश का राजकोषीय घाटा 5,700 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले के 3,597 करोड़ रुपये की तुलना में 2,103 करोड़ रुपये अधिक है। प्राथमिक घाटा 2020-21 के दौरान घटकर 21,228 करोड़ रुपये रह गया जो 2019-20 में 1,363 करोड़ रुपये था।
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