(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ आम लोगों को मिले। इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय एवं अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर कीमतों समेत समूची स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार जीएसटी दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को दिलाने के लिए काम कर रही है। इसके लिए सीबीआईसी, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों समेत सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर कीमतों और पूरी स्थिति पर नजर रख रहा है।’’
अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों के तहत एक तरह के सामान को एक ही कर दायरे में लाने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने से विवादों में कमी आने की उम्मीद है।
केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों की भागीदारी वाली जीएसटी परिषद ने बुधवार को जीएसटी के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया। अब कर की दरें पांच और 18 प्रतिशत होंगी जबकि विलासिता एवं सिगरेट जैसी अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी। तंबाकू और संबंधित वस्तुओं को छोड़कर नई कर दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी।
दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के तहत टेलीविजन एवं एयर कंडीशनर जैसे उपभोक्ता वस्तुओं के अलावा खानपान और रोजमर्रा के कई सामानों पर दरें कम की गयी हैं।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम कीमतों के रुख पर कड़ी नजर रख रहे हैं। हम देख रहे हैं कि अभी सामानों की क्या कीमत है और जीएसटी में सुधारों के बाद आगे क्या रुझान रहने वाला है। कंपनियों पर भी हमारी नजर होगी।’’
सीबीआईसी चेयरमैन ने कहा, ‘‘अगर दर कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं मिलने की शिकायत आती है, हम उसे उद्योग संगठनों के पास ले जाएंगे। उद्योग संगठनों ने कहा है कि दरों में कटौती से जो भी लाभ होगा, उसका फायदा ग्राहकों को दिया जाएगा।’’
अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार ने कदम उठाया है, प्रक्रिया को सरल किया गया है। उद्याोगों को एक निश्चितता दी गयी है। ऐसे में उनका भी दायित्व बनता है। हमें पूरा विश्वास है कि वे जो भी लाभ हैं, ग्राहकों को देंगे।’’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘जो माल पहले से बाजार में है और उस पर एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) छपा है, उनमें 10 से 15 दिनों में बदलाव कर पाना थोड़ा मुश्किल लगता है लेकिन आपूर्ति शृंखला में बाजार में माल ज्यादा होते नहीं हैं। जो भी नई खेप आएगी, उसमें चीजें ठीक हो जाएंगी।’’
अग्रवाल ने कहा, ‘‘चूंकि बाजार में काफी प्रतिस्पर्धा है, ऐसे में एक कंपनी ग्राहकों को लाभ दे और कोई दूसरी नहीं देती है तो यह बात सामने आ जाएगी। कंपनियों के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई टीवी खरीदता है उसे तुंरत लाभ मिल जाएगा। एमआरपी पर बेचे जाने वाले छोटे सामानों पर हो सकता है कि कंपनियां डीलर के जरिये खुदरा दुकानदारों को छूट दें।’
विवादों के समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘दरों को युक्तिसंत बनाया गया है। पहले चार दरें होती थी, अब दो हो गयी हैं। एक तरह के सामान को एक ही कर श्रेणी में रखा गया है, जैसे खाने के सामान पर अब पांच प्रतिशत कर लगेंगे।’’
पहले एक ही तरह की वस्तुओं पर अलग-अलग दरें होने से कई नोटिस जाते थे। जीएसटी सुधारों से वह समस्या समाप्त होगी।
उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिए जीएसटी वास्तव में सरल और पारदर्शी हो गया है और विवाद की संभावना लगभग खत्म हो गयी है। रिफंड, पंजीकरण प्रक्रियाओं को तेज और सरल बनाया गया है ताकि उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो।
नयी दरों के दिवाली से पहले लागू करने के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि ग्राहक दरों में कटौती की उम्मीद में अपनी खरीदारी टाल रहे थे और उद्योग जगत से जल्द कर सुधार लागू करने की मांग आने लगी थी।
उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए जीएसटी परिषद की बैठक तुरंत आयोजित की गई और यह निर्णय लिया गया कि नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी, जो नवरात्रि का पहला दिन है जिसके साथ त्योहारी मौसम शुरू हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने संबोधन में जीएसटी में व्यापक सुधारों के जरिये दिवाली और छठ पूजा से पहले देशवासियों को दोहरा लाभ मिलने की घोषणा की थी।
भाषा रमण प्रेम
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