नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) डिजिटल व्यक्तिगत आंकड़ा संरक्षण विधेयक में आंकड़ा उल्लंघन के मामले में सरकार को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। एक सरकारी सूत्र ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सूत्र ने कहा कि विधेयक सिर्फ डिजिटल आंकड़ों से जुड़े पहलुओं पर विचार करेगा, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को डिजिटल और साइबर क्षेत्र से निपटना है।
सूत्र ने कहा, ”विधेयक मुख्य रूप से उन संस्थाओं को जवाबदेह बनाने के लिए है, जो आंकड़ों का मौद्रिकरण कर रही हैं। आंकड़ा उल्लंघन के मामले में सरकार को भी छूट नहीं है।”
सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत आंकड़ा संरक्षण विधेयक 2022 के प्रस्तावित मसौदे के तहत प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक कर दी है।
विधेयक के मसौदे में सरकार द्वारा व्यक्तिगत आंकड़ों के प्रसंस्करण के तरीके और उद्देश्य तय करने वाली इकाइयों के रूप में अधिसूचित कुछ संस्थाओं को कई अनुपालनों से छूट भी दी गई है।
मसौदा विधेयक में ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आंकड़ा प्रसंस्करण करने वाली संस्थाएं व्यक्तियों की स्पष्ट सहमति से ही आंकड़े जमा करें। साथ ही आंकड़ों का उपयोग सिर्फ उसी मकसद के लिए किया जाएगा, जिसके लिए उसे जमा किया गया है।
अगर ये इकाइयां या उसकी ओर से आंकड़ों का प्रसंस्करण करने वाली संस्थाएं विधेयक के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करती हैं, तो मसौदे में 500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव किया गया है।
सूत्र ने कहा कि सूचना के अधिकार कानून के तहत बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन आए हैं, जो अनावश्यक हैं। इससे सरकारी विभागों का बोझ बढ़ गया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा अधिसूचित संस्थाओं को आरटीआई खंड से छूट दी गई है।
उन्होंने कहा कि आपसी समझौते और भरोसे के आधार पर दूसरे देशों में आंकड़ों के हस्तांतरण और भंडारण की अनुमति दी जाएगी।
भाषा पाण्डेय मानसी
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