नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) से बाहर निकलने के पांच साल बाद सरकार को कंपनी में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी मिलने जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि ईंधन खुदरा विक्रेताओं को पिछले साल रियायती दरों पर पेट्रोल और डीजल बेचने पर काफी नुकसान हुआ है, जिसके चलते सरकार एचपीसीएल में इक्विटी निवेश करने जा रही है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की ईंधन खुदरा विक्रेताओं – इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), एचपीसीएल और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी सहायता देने की घोषणा की थी।
सरकार ने जून में आईओसी और बीपीसीएल को पूंजी जुटाने के लिए राइट्स निर्गम लाने की इजाजत दी और एचपीसीएल से कहा गया कि वह सरकार को तरजीही आधार पर शेयर आवंटन करने के विकल्प पर विचार करे।
एचपीसीएल के बोर्ड ने अभी तक तरजीही निर्गम को मंजूरी नहीं दी है। हालांकि, मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि एचपीसीएल बोर्ड तरजीही निर्गम लेने से पहले सरकार से मार्गदर्शन का इंतजार कर रहा है।
उन्होंने अनुमान जताया कि सरकार के पास एचपीसीएल में करीब 10,000 करोड़ रुपये तक निवेश करने की गुंजाइश है। एचपीसीएल के मौजूदा बाजार पूंजीकरण 39,650 करोड़ रुपये पर यह एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी में तब्दील हो जाएगी।
सरकार ने जनवरी 2018 में एचपीसीएल में अपनी पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएनजीसी को 36,915 करोड़ रुपये में बेच दी थी।
भाषा पाण्डेय अजय
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