नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) संसद की एक समिति ने मंगलवार को कहा कि सरकार को खाद्यान्न की विकेंद्रीकृत खरीद (डीसीपी) व्यवस्था अपनाने के लिए और राज्यों को प्रोत्साहित करने को लेकर ‘‘सक्रियता से कदम’’ उठाने चाहिए।
डीसीपी योजना के तहत, खाद्यान्न की खरीद और वितरण राज्य सरकारें स्वयं करती हैं। इसके अंतर्गत आने वाले राज्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और केंद्र सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्न जारी करने के लिये उसकी खरीद और भंडारण करती हैं।
सुदीप बंद्योपाध्याय की अध्यक्षता वाली खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति ने अपनी 13वीं रिपोर्ट में कहा था कि अपनी शुरुआत होने के 23 साल बाद भी गेहूं के लिए केवल आठ राज्यों और चावल के लिए 15 राज्यों ने विकेंद्रित खरीद योजना को अपनाया है।
समिति ने यह भी पाया कि डीसीपी योजना ने स्थानीय जरुरत के अनुकूल अनाज की आपूर्ति को संभव बनाकर पीडीएस की दक्षता बढ़ाई है। साथ ही खाद्य मंत्रालय को सिफारिश की है कि राज्यों के लिए यह योजना अनिवार्य होने के बावजूद उन्हें इस योजना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये।
समिति ने मंगलवार को संसद में अपनी 13वीं रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट को पेश करते हुए कहा, ‘‘अपने कार्रवाई के जवाब में, मंत्रालय ने केवल यह कहा है कि सरकार सभी राज्यों में योजना को लागू करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।’’
मंत्रालय ने सूचित किया है कि 16 राज्य चावल के विकेंद्रित खरीद का काम कर रहे हैं। ये राज्य हैं… उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, झारखंड, गुजरात, अंडमान और निकोबार और त्रिपुरा।
उसने कहा कि नौ राज्यों में गेहूं की विकेंद्रित खरीद हो रही है। ये राज्य महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश हैं।
भाषा राजेश राजेश रमण
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