नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) संसद की एक समिति ने भारत को यूरोपीय संघ के प्रस्तावित कार्बन कर पर इंजीनियरिंग क्षेत्र के छोटे और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए तीन साल की मोहलत मांगने की अनुशंसा की है।
वाणिज्य पर गठित संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश करते हुए कहा है कि घरेलू विनिर्माताओं के पास कार्बन कर का मुकाबला करने के लिए समुचित वित्तीय संसाधन नहीं हैं।
रिपोर्ट कहती है कि यूरोपीय संघ के सीबीएएम (कार्बन सीमा समायोजन तंत्र) के प्रतिकूल प्रभावों का मुकाबला करने के लिए घरेलू एमएसएमई को तैयार करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर एक मजबूत व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
यूरोपीय संघ ने इस्पात, सीमेंट और उर्वरक सहित सात कार्बन उत्सर्जक क्षेत्रों पर एक जनवरी, 2026 से कार्बन टैक्स सीबीएएम लगाने का फैसला किया है। इस आयात शुल्क के दायरे में इंजीनियरिंग सामान भी आएंगे।
वाणिज्य विभाग की संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में कहा कि घरेलू उद्योगों को अतिरिक्त शुल्क से बचाने के लिए सरकार को अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ उच्चतम स्तर पर बातचीत करनी चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को एमएसएमई क्षेत्र के लिए सीबीएएम पर कम- से-कम तीन साल की मोहलत मांगनी चाहिए।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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