scorecardresearch
शुक्रवार, 6 जून, 2025
होमदेशअर्थजगतसरकार उर्वरक कीमतों को नियंत्रण से मुक्त करे, चयन की छूट दे: कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी

सरकार उर्वरक कीमतों को नियंत्रण से मुक्त करे, चयन की छूट दे: कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी

Text Size:

नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने सोमवार को कहा कि सरकार को कीमतों को नियंत्रण से मुक्त करके और किसानों को रासायनिक एवं गैर-रासायनिक उर्वरकों के बीच चयन की अनुमति देकर अपनी उर्वरक नीति को फिर से निर्धारित करना चाहिए।

कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के पूर्व अध्यक्ष गुलाटी ने कहा कि मौजूदा नीति ने उर्वरक के उपयोग में भारी असंतुलन पैदा कर दिया है, जिससे जिंक और अन्य मृदा पोषक तत्वों के लिए सब्सिडी समर्थन की कमी होने के साथ भारी सब्सिडी वाले यूरिया के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी को नुकसान हो रहा है।

गुलाटी ने आर्थिक शोध संस्थान इक्रियर के एक कार्यक्रम में पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘मिट्टी में जिंक की कमी से गेहूं और चावल में जिंक की कमी हो रही है, जिससे बच्चों में बौनापन आ रहा है। यह पोषण से जुड़ा अहम मुद्दा है।’’

गुलाटी ने खाद्य सुरक्षा से पोषण लक्ष्यों की तरफ कदम बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पोषण सुरक्षा के लिए हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि फसलों में पर्याप्त पोषण हो। इसके लिए हमें मिट्टी को अच्छी तरह से पोषण देने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उर्वरक सब्सिडी कृषि मंत्रालय के पूरे बजट से भी बड़ी है। यह सबसे बड़ा डायनासोर है और उचित परिणाम नहीं दे रहा है। अगर हम इसे सही कर लें, तो हम मिट्टी की कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।’’

गुलाटी ने नीतिगत समर्थन की मांग की ताकि किसानों को रासायनिक और गैर-रासायनिक उर्वरकों के बीच चयन करने की पूरी आजादी मिले और साथ ही कीमतों में कोई बदलाव न हो।

उन्होंने कहा कि सरकार को उचित नीतिगत समर्थन के माध्यम से गैर-रासायनिक उर्वरकों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।

इस मौके पर आईसीएआर-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के मनोरंजन मोहंती ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है, लेकिन मिट्टी के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए गैर-पारंपरिक उर्वरकों पर ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अकार्बनिक उर्वरकों का विकल्प नहीं बना सकते, लेकिन सबसे अच्छा तरीका है कि जैविक और अकार्बनिक उर्वरकों को एकीकृत किया जाए।’’

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments