नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) सरकार निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए धातुशोधन श्रेणी के बॉक्साइट के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) को तय करने के लिए कीमत-निर्धारण संरचना में बदलाव करने का मन बना रही है।
फिलहाल राज्य सरकारें बॉक्साइट की मौजूदा खदानों की नीलामी कर पाने में नाकाम साबित हुई हैं। इसकी वजह यह है कि निजी कंपनियों को इस धातु का बिक्री मूल्य व्यवहार्य नहीं लगता है।
बॉक्साइट एल्युमिनियम निर्माण में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख अयस्क है। लिहाजा एल्युमिनियम उत्पादकों के लिए एक कच्चे माल के तौर पर बॉक्साइट की जरूरत रहती है।
सरकार इस क्षेत्र में निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए मूल्य-निर्धारण ढांचे को बदलने की सोच रही है। खान मंत्रालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक पत्र के मुताबिक, बॉक्साइट की मूल्य गणना के तरीके में बदलाव खनन कानून में संशोधन कर किया जाएगा। इसके लिए खान मंत्रालय ने सुझाव भी आमंत्रित किए हैं।
कई कंपनियों और उद्योग संगठनों ने धातु श्रेणी के बॉक्साइट का एएसपी तय करने के लिए कीमत-निर्धारण ढांचे में बदलाव की मांग की थी। उनका कहना है कि मौजूदा संरचना के आधार पर तय होने वाला मूल्य बॉक्साइट की असली कीमत से बहुत अधिक होता है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 14 बॉक्साइट खदानों के लिए निविदा जारी की है।
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