नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) सरकार ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) नियम 2025 शुक्रवार को जारी कर दिए। इन्हें 12 से 18 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
इन नियमों का मकसद नागरिकों को अपने डेटा पर नियंत्रण प्रदान करना, दुरुपयोग की जांच करने की अनुमति देना और ऑनलाइन मंचों में उनकी गोपनीयता की रक्षा करना है।
नियमों के कुछ हिस्सों को तुरंत लागू किया जाएगा जबकि सहमति प्रबंधकों के पंजीकरण एवं दायित्वों, ‘डेटा फिड्यूशरी’ द्वारा लोगों को उनके डेटा के प्रसंस्करण के लिए नोटिस व व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण से संबंधित कुछ अन्य प्रमुख मानदंडों जैसे प्रावधानों को 12-18 महीने की अवधि में लागू किया जाएगा।
इन नियमों से नागरिकों को फर्जी कॉल और किसी भी डिजिटल माध्यम से उनके व्यक्तिगत डेटा, वीडियो और आवाज तक अनधिकृत पहुंच से बचने में मदद मिलने की उम्मीद है।
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 (2023 का 22) की धारा 40 की उप-धारा (1) और (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाती है … इन नियमों को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 कहा जा सकता है।’’
नियमों में डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना के लिए एक तंत्र निर्धारित किया गया है जो डीपीडीपी अधिनियम 2023 में सूचीबद्ध उल्लंघन की प्रकृति के आधार पर जुर्माना लगाएगा।
डीपीडीपी अधिनियम 2023 में ‘डेटा फिड्यूशरी’ पर प्रत्येक उल्लंघन के लिए 250 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। हालांकि, छोटे व्यवसायों की सुरक्षा के लिए इसमें एक श्रेणीबद्ध दंड प्रणाली भी रखी गई है।
‘डेटा फिड्यूशरी’ वह निकाय (व्यक्ति, कंपनी, कंपनी, राज्य आदि) है जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण का उद्देश्य एवं साधन निर्धारित करता है।
ये नियम उच्चतम न्यायालय द्वारा 24 अगस्त 2017 को दिए गए उस निर्णय के आठ वर्ष बाद लागू हुए जिसमें कहा गया था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और इस पर संविधान में निहित मौलिक अधिकारों से संबंधित प्रतिबंध निर्दिष्ट हैं।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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