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आदिवासियों के उत्पादों की बिक्री के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों की ‘मदद’ ले रही है सरकार

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नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) सरकार आदिवासी समुदायों के वन उत्पादों काउ उत्पादन और विपणन बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है। इसके अलावा इन उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों से बातचीत कर रही है। केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को यह बात कही।

प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा या स्थानीय भाषा के इस्तेमाल पर जोर का सबसे बड़ा लाभ आदिवासी समुदायों को मिलेगा।

मंत्री ने सरकार द्वारा आदिवासियों के कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत वित्तीय आवंटन में काफी वृद्धि की गई है।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह आवंटन 91,000 करोड़ रुपये है। यह 2014-15 में 19,437 करोड़ रुपये था।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में एकलव्य विद्यालय खोलने के लिए पूंजी जुटाई जा रही है ताकि उनके लिए शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा सके।

उन्होंने कहा कि लगभग 10 लाख आदिवासी लाभार्थी 55,000 स्वयं सहायता समूहों के जरिये वन धन विकास केंद्रों से जुड़े हैं।

इन केन्द्रों का उद्देश्य वन उपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, आदिवासियों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा उनकी आय में वृद्धि करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार उनकी उपज बढ़ाने, पैकेजिंग, ब्रांडिंग, विपणन में सुधार करने के लिए कदम उठा रही है। इसके लिए हम अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे मंच का उपयोग उनके उत्पादों के लिए भी कर रहे हैं।’’

इसके अलावा, एक राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) की स्थापना की गई। साथ ही 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले गांवों में सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

भाषा

रिया अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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