नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) सरकार तीसरे देशों के रास्ते पाकिस्तान को भारतीय वस्तुओं के अप्रत्यक्ष निर्यात की मात्रा का पता लगाने के लिए आंकड़े एकत्रित कर रही है।
सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस कवायद का मकसद पड़ोसी देश तक इस तरह की खेप को रोकना है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय एयरलाइंस के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने के मद्देनजर सरकार उद्योग के साथ मिलकर हवाई मार्ग के जरिये माल पहुंचाने के वैकल्पिक मार्गों पर विचार कर रही है।
पश्चिम एशिया के देशों को फूल, फल और सब्जियों जैसे सामान हवाई मार्गों के जरिये निर्यात किए जाते हैं। ये प्रतिबंध पिछले हफ्ते पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद लगाए गए हैं। इस भीषण घटना में 26 लोग मारे गए थे।
सूत्रों ने कहा कि निर्यात के आंकड़े सीमा शुल्क, निर्यात संवर्धन परिषदों और अन्य विभागों से जमा किए जा रहे हैं।
आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई के अनुसार 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य का भारतीय माल हर साल दुबई, सिंगापुर और कोलंबो जैसे बंदरगाहों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान पहुंच रहा है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारतीय कंपनी इन बंदरगाहों पर माल भेजती हैं, जहां एक स्वतंत्र कंपनी माल उतारती है और उत्पादों को बॉन्डेड वेयरहाउस में रखती है, जहां माल को शुल्क का भुगतान किए बिना रखा जा सकता है।
संस्थान ने कहा कि इसके बाद माल के लेबल और दस्तावेजों को मूल देश से अलग दिखाने के लिए संशोधित किया जाता। ऐसे में लगता है कि माल किसी तीसरे देश से आ रहा है और फिर उसे ऊंचे दामों पर बेचा जाता है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ”हालांकि, यह मॉडल हमेशा अवैध नहीं होता है, लेकिन यह गुमराह करने जैसा है। इससे पता चलता है कि कैसे कारोबारी व्यापार जारी रखने के लिए रचनात्मक तरीके खोजते हैं। कई बार उनकी चाल सरकारों की प्रतिक्रिया से भी तेज होती है।”
उन्होंने कहा कि जीटीआरआई का अनुमान है कि इस मार्ग से सालाना 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य का सामान भारत से पाकिस्तान पहुंचता है।
भाषा पाण्डेय रमण
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