नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) सरकार व्यापार उपचार जांच में दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पेश करने के लिए एक डिजिटल मंच विकसित कर रही है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता, दक्षता और सभी हितधारकों के लिए पहुंच को आसान बनाना है। शनिवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
ये जांच वाणिज्य मंत्रालय की शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) द्वारा की जाती है।
भारत ने 1995 से अब तक 1,200 से ज़्यादा व्यापार उपचार जांचें शुरू की हैं और हाल ही में किए गए हस्तक्षेपों ने सौर ऊर्जा और उन्नत सामग्री जैसे कि सौर सेल और तांबे के तार की छड़ों सहित घरेलू क्षेत्रों को अनुचित मूल्य वाले आयात और सब्सिडी वाले सामानों से बचाया है।
वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा, “सरकार व्यापार उपचार जांचों में दस्तावेज़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पेश करने में सक्षम बनाने के लिए एक डिजिटल मंच विकसित कर रही है।”
इस मंच के जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है, जिससे सभी हितधारकों के लिए पारदर्शिता, दक्षता और पहुंच में आसानी होगी।
निदेशालय का मुख्य उद्देश्य समयबद्ध तरीके से जांच करके संवेदनशील क्षेत्रों को किसी भी निर्यातक देश से डंपिंग और सब्सिडी जैसे व्यापार उदारीकरण के प्रतिकूल प्रभाव से बचाना है।
डीजीटीआर के मुख्य कार्यों में डंपिंग-रोधी, सब्सिडी/सीवीडी (काउंटरवेलिंग शुल्क)-रोधी और सुरक्षा जांच करना शामिल है।
इन शुल्कों को लगाने का अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय लेता है।
इसके अलावा, डीजीटीआर ने अपने व्यापार रक्षा विंग के माध्यम से विदेशी व्यापार उपाय प्राधिकरणों द्वारा व्यापार उपाय उपायों को लागू करने का प्रभावी ढंग से विरोध किया है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
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