एक सूत्र ने कहा कि इसके अनुरूप दूरसंचार विभाग ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है ताकि मौजूदा अपील पर आगे बढ़ना है या नहीं, इस बारे में सोच-समझकर फैसला लिया जा सके.
विभाग ने कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र कई परिस्थितियों के कारण वित्तीय संकट से गुजर रहा है और दूरसंचार कंपनियां घाटे में चल रही हैं.उसने भारतीय बैंक संघ के ज्ञापन का ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि दूरसंचार क्षेत्र में उलट घटनाक्रमों से नाकामी, गायब होती प्रतिस्पर्धा, एकाधिकार, अस्थिर संचालन जैसी समस्याएं आ सकती हैं और यह बैंकिंग प्रणाली के लिए गंभीर नुकसान का कारण बन सकता है जो इस क्षेत्र को काफी लोन देता है.
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चार अक्टूबर के इस हलफनामे में कहा गया, ‘केंद्र सरकार अपील की वर्तमान कार्यवाही के साथ आगे बढ़ने के अपने फैसला की समीक्षा करना और/या पुनर्विचार करना चाहती है. यह दलील है कि इसमें शामिल मुद्दे की प्रकृति को देखते हुए, यह फैसला विभिन्न स्तरों पर जांच के बाद लिया जाएगा जिसमें थोड़ा वाजिब समय लग सकता है.’
सरकार के अनुसार, मामलों में शामिल रक़म के अनुसार विभिन्न दूरसंचार कंपनियों पर लगभग 40,000 करोड़ रुपए की वित्तीय देनदारी बनती है.
विभाग ने सुप्रीम कोर्ट से तीन हफ्ते का समय मांगा है ताकि ‘केंद्र सरकार सोच-समझकर फैसला ले सके कि मौजूदा अपील पर आगे बढ़ना है या नहीं’. साथ ही इस कि मामले में सुनवाई को सप्ताह के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया है.
नई दिल्ली: सरकार दूरसंचार कंपनियों के ख़िलाफ़ करीब 40,000 करोड़ रुपए के विवादों से जुड़ी कानूनी मामले वापस लेने पर विचार कर रही है.