मुंबई, 28 जुलाई (भाषा) विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अप्रैल-जून तिमाही में सोने की मांग सालाना आधार पर 43 फीसदी अधिक रही। हालांकि मुद्रास्फीति, रुपया-डॉलर दरें और नीति संबंधी कदमों समेत कई कारक होंगे जो आगे जाकर उपभोक्ताओं की धारणाओं को प्रभावित करेंगे।
डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल से जून के दौरान भारत में सोने की मांग 170.7 टन रही जो 2021 की समान अवधि की मांग 119.6 टन से 43 फीसदी अधिक है।
सोने की मांग पर डब्ल्यूजीसी द्वारा जारी रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को कहा गया कि मूल्य के संदर्भ में भारत में सोने की मांग जून तिमाही में 54 फीसदी बढ़कर 79,270 करोड़ रुपये हो गई जो 2021 की समान तिमाही में 51,540 करोड़ रुपये थी।
डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ (भारत) सोमसुंदरम पी आर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अक्षय तृतीया के साथ ही वैवाहिक सीजन शुरू होने से आभूषणों की मांग 49 फीसदी बढ़कर 140.3 टन रही।’’ उन्होंने बताया कि 2022 के लिए डब्ल्यूजीसी ने मांग परिदृश्य 800-850 टन का रखा है हालांकि आने वाले वक्त में मुद्रास्फीति, सोने की कीमत, रुपया-डॉलर दरें और नीतिगत कदम समेत अन्य कारक उपभोक्ताओं की धारणाओं को प्रभावित करेंगे।
उन्होंने बताया कि 2021 में सोने की कुल मांग 797 टन थी।
जून तिमाही में, भारत में सोने का पुनर्चक्रण 18 फीसदी बढ़कर 23.3 टन रहा जो पिछले वर्ष समान अवधि में 19.7 टन था। इस तिमाही में सोने का आयात भी 34 फीसदी बढ़कर 170 टन हो गया जो 2021 की समान अवधि में 131.6 टन था।
रिपोर्ट के अनुसार सोने की वैश्विक मांग सालाना आधार पर आठ फीसदी घटकर 948.4 हो गई। 2021 की जून तिमाही में यह 1,031.8 टन थी।
डब्ल्यूजीसी में वरिष्ठ विश्लेषक ऐमा लुईस स्ट्रीट ने कहा, ‘‘2022 की दूसरी छमाही में सोने को लेकर खतरे और अवसर दोनों ही हैं। सुरक्षित निवेश के लिहाज से सोने की मांग बनी रहने का अनुमान है लेकिन और मौद्रिक सख्ती तथा डॉलर के और मजबूत होने की चुनौतियां भी हैं।’’
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