नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने निर्माण उद्योग में डीजल के उपयोग पर चिंता जताते हुए मंगलवार को कहा कि क्षेत्र को जीवाश्म ईंधन की जगह जैव-एथनॉल, एलएनजी और सीएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधन के उपयोग की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह न केवल खतरनाक उत्सर्जन को कम करेगा बल्कि भारी आयात बिल में भी कटौती करेगा।
उद्योग मंडल सीआईआई के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि फिलहाल भारत अपनी कुल जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। इस पर सालाना आठ लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यह अर्थव्यवस्था पर काफी बड़ा बोझ है।
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल, डीजल का बड़े पैमाने पर निर्माण उद्योग में उपयोग हो रहा है। दुर्भाग्य से, यह ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लिये भी काफी जिम्मेदार है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘…हमें डीजल के स्थान पर अन्य वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करना होगा। खतरनाक उत्सर्जन को कम करने के साथ भारी आयात बिल में कमी लाने के लिये यह जरूरी है।’’
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अगर हम डीजल के स्थान पर जैव ईंधन का उपयोग नहीं करते हैं, तो अगले पांच साल में देश का कच्चे तेल का आयात बिल 25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
गडकरी ने यह भी कहा कि वह अपने चीनी कारखानों में बायोडीजल का उपयोग कर रहे हैं, और ट्रैक्टरों को सीएनजी पर चलाने के लिये उसमें जरूरी बदलाव किये गये हैं।
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रमण अजय
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