नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) भारत में ईंधन बिक्री मार्च में महामारी से पहले के स्तर को पार कर गयी है। यह महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये प्रतिबंधों को हटाने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी को दर्शाता है।
इसके अलावा बिक्री बढ़ने की एक वजह कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका भी रही, जिसके चलते लोगों ने ‘स्टॉक’ जमा किये।
डीलरों के साथ ही जनता ने उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों के बाद कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका में स्टॉक जमा किये।
तेल कंपनियों ने कीमतों में दैनिक संशोधन 22 मार्च से शुरू किया। कीमतों में बढ़ोतरी ने खपत को नियंत्रित किया।
सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा तेल कंपनियों ने मार्च में 26.9 लाख टन पेट्रोल बेचा, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.7 प्रतिशत और 2019 की समान अवधि के मुकाबले 14.2 प्रतिशत अधिक है।
देश में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल की बिक्री मार्च में सालाना आधार पर 10.1 फीसदी बढ़कर 70.5 लाख टन हो गई, जो मार्च 2019 के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक है।
मार्च के पहले पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की बिक्री क्रमश: 18 प्रतिशत और 23.7 प्रतिशत बढ़ी।
समीक्षाधीन अवधि में मासिक आधार पर पेट्रोल की बिक्री 17.3 प्रतिशत और डीजल की बिक्री 22.3 प्रतिशत बढ़ी।
भाषा पाण्डेय रमण
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