नई दिल्ली: थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित भारत की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 14.55 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, खनिज तेल और बुनियादी धातुओं की कीमतें 13.11 प्रतिशत थी. सोमवार को सरकारी आंकड़ों में सामने आया.
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से कच्चे तेल और अन्य जिंसों की कीमतों में वृद्धि हुई है. मुद्रास्फीति के बढ़ने से रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में नीतिगत दरों को बढ़ाने का फैसला कर सकता है.
यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से कच्चे तेल और जिंसों की कीमतों तेजी के चलते हुई, जबकि इस दौरान सब्जियों की मुद्रास्फीति में कमी आई.
थोक मूल्य पर आधारित महंगाई मार्च में पिछले 4 महीने में सबसे ऊंची है. पिछले साल मार्च 2021 में रिकार्ड की गई 7.89 से लगभग दोगुने पर है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘मार्च, 2022 में ऊंची मुद्रास्फीति मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, मूल धातुओं आदि की कीमतों में वृद्धि के चलते रही. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के चलते भी महंगाई बढ़ी.’
WPI आधारित मुद्रास्फीति लगातार 12 महीनों से दहाई अंक में है. पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए, WPI आधारित मुद्रास्फीति दो अंकों में थी.
ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 34.52 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 31.50 प्रतिशत थी.
विनिर्मित उत्पादों में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले महीने के 9.84 प्रतिशत से बढ़कर 10.71 प्रतिशत हो गई. विनिर्मित उत्पादों का थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में भारांक 64.2 प्रतिशत है.
समीक्षाधीन माह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.06 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 8.19 प्रतिशत थी. इस दौरान सब्जियों की महंगाई दर 26.93 फीसदी से घटकर 19.88 प्रतिशत रही. वहीं दालों, गेहूं, धान, आलू, दूध, अंडा, मांस और मछली की मुद्रास्फीति कम हुई.
समीक्षाधीन माह में विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 10.71 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 9.84 प्रतिशत थी. ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 34.52 प्रतिशत थी.
कच्चे तेल की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 83.56 प्रतिशत हो गई, जो फरवरी में 55.17 प्रतिशत थी.
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 6.95 प्रतिशत रही. यह लगातार तीसरा महीना है, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सामान्य मानसून के अनुमान के बावजूद खाद्य तेलों जैसे उत्पादों की कीमतों में पर्याप्त कमी नहीं हुई है.
इक्रा को उम्मीद है कि चालू माह में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 13.5-15 प्रतिशत के दायरे में रहेगी. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अप्रैल, 2022 के बाकी दिनों में कच्चे तेल की कीमतें कितनी रहती हैं. नायर ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति के लिए विशेष रूप से चिंता की बात हो सकती है.