नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) ने बुधवार को कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने के कारण अगले तीन वर्षों में ब्रिटेन को होने वाले भारत के तैयार परिधान निर्यात को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मांग में कमी, रूस-यूक्रेन संघर्ष, इजराइल-हमास युद्ध, अमेरिका का जवाबी शुल्क और चीन के प्रत्युत्तर की पृष्ठभूमि में अनिश्चितता और व्यवधान है, जिसका वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह समझौता एक वरदान के रूप में आया है, जिसने 9.6 प्रतिशत के शुल्क नुकसान को तुरंत हटा दिया है और हमें ब्रिटेन बाजार में प्रतिस्पर्धी बना दिया है। अब भारत में निर्मित तैयार परिधान ब्रिटेन के लिए सस्ते हो जायेंगे और हम अपने कुछ प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के बराबर होंगे, जिन्हें ब्रिटेन बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त थी।’’
भारत, ब्रिटेन के कुल तैयार परिधान आयात में 6.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ, परिधानों का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
भारत से ब्रिटेन को निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 7.8 प्रतिशत बढ़कर 1.4 अरब डॉलर का हो गया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सौदे के साथ, भारत अगले तीन वर्षों में ब्रिटेन को तैयार परिधान निर्यात को दोगुना करने के लिए तैयार है।’’
ब्रिटेन को तैयार परिधान का शीर्ष आपूर्तिकर्ता देश, चीन है। इसके बाद बांग्लादेश और तुर्की का स्थान आता है।
ब्रिटेन द्वारा भारत से आयात किए जाने वाले शीर्ष उत्पादों में, बुने हुए या क्रोशिया से बने सूती टी-शर्ट, सिंगलेट और अन्य बनियान; सूती महिलाओं के कपड़े; सूती बुने हुए या क्रोशिया से बने बच्चों के कपड़े और कपड़ों के सामान शामिल हैं।
एईपीसी के वाइस चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि एफटीए से दीर्घकालिक विकास का मार्ग प्रशस्त होने, निवेश आकर्षित करने और दोनों देशों में कपड़ा अंशधारकों के लिए अधिक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने की उम्मीद है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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