नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने फरवरी में भारतीय शेयर बाजारों से 34,574 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह 2025 के पहले दो माह में एफपीआई की कुल निकासी 1.12 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वैश्विक व्यापार तथा कंपनियों की आय को लेकर चिंता के बीच एफपीआई लगातार बिकवाल बने हुए हैं।
वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के वरिष्ठ निदेशक (सूचीबद्ध निवेश) विपुल भोवर ने कहा, ‘‘भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन और कॉरपोरेट आय में वृद्धि को लेकर चिंताओं के कारण एफपीआई लगातार निकासी कर रहे हैं।’’
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने फरवरी में भारतीय शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे पहले जनवरी में एफपीआई ने 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
इस तरह 2025 के पहले दो माह में एफपीआई 1,12,601 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।
भोवार ने कहा कि बाजार की हालिया बिकवाली की मुख्य वजह अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी, अमेरिकी डॉलर में मजबूती और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं हैं। इससे निवेशकों का ध्यान अमेरिकी परिसंपत्तियों की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजे कमजोर रहे हैं जो अनिश्चितता के माहौल को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जिंस कीमतों में गिरावट और उपभोक्ता खर्च में कमी से यह समस्या और बढ़ गई है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत में ऊंचे मूल्यांकन की वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं। वे अपना पैसा चीन के शेयरों में लगा रहे हैं, जहां मूल्यांकन कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस प्रक्रिया में, वे आकर्षक मूल्यांकन वाले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में बिक्री कर रहे हैं।’’
एफपीआई की बिकवाली में एक महत्वपूर्ण विरोधाभास यह है कि वे वित्तीय सेवाओं में भारी मात्रा में बिकवाली कर रहे हैं, जबकि यह क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और इसका मूल्यांकन आकर्षक है। इसके अलावा वे ऋण या बॉन्ड बाजार से भी पैसा निकाल रहे हैं।
समीक्षाधीन अवधि में उन्होंने बॉन्ड बाजार से सामान्य सीमा के तहत 8,932 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 2,666 करोड़ रुपये निकाले हैं।
एफपीआई का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी।
भाषा अजय अजय
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