मुंबई, 19 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ के तहत सीमापार भुगतान के लिये चार इकाइयों के उत्पादों को व्यावहारिक पाया है। इन उत्पादों का पहले परीक्षण किया जा चुका है।
‘सैंडबॉक्स’ से आशय नये उत्पादों या सेवाओं के नियंत्रित परिवेश में वास्तविक माहौल में परीक्षण से है। सीमित उद्देश्य के लिये होने वाले इस तरह के परीक्षण को लेकर नियामक नियमों में कुछ छूट देता है।
ये चार इकाइयां हैं…कैशफ्री पेमेंट्स इंडिया, फेयरेक्स सॉल्यूशंस, नियरबाय टेक्नोलॉजीज और ओपन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज।
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को बयान में कहा, ‘‘आपसी सहमति के तहत परीक्षण परिदृश्य और उससे प्राप्त नतीजों के आधार पर उत्पादों का मूल्यांकन किया गया। सभी चार उत्पाद नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ के तहत परीक्षण के दौरान परिभाषित सीमा शर्तों के अंदर व्यावहारिक पाये गये हैं।’’
इकाइयां अब ‘सीमापार भुगतान’ पर नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ के दूसरे समूह से बाहर निकल गई हैं। समूह के अंतर्गत उत्पाद को अगर स्वीकार्य माना जाता है, उसे नियमित इकाइयां अपनाने पर विचार कर सकती हैं। यह नियामकीय जरूरतों के अनुपालन पर निर्भर करेगा।
नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ के तहत दूसरे समूह में आठ इकाइयों ने अपने उत्पादों का परीक्षण शुरू किया है।
रिजर्व बैंक के बयान के अनुसार, कैशफ्री पेमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का उत्पाद स्थानीय भुगतान प्रणालियों के माध्यम से विदेशी एक्सचेंज (उदाहरण के लिये नास्दैक) में सूचीबद्ध शेयर, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड ( ईटीएफ) जैसे उत्पादों की खरीद के लिये सीमापार भुगतान मंच प्रदान करता है।
इसी प्रकार फेयरेक्स सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड का उत्पाद प्रमुख सीमापार भुगतान सेवाप्रदाताओं को एक साथ लाने को मंच प्रदान करता है।
नियरबाय टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड का उत्पाद मौजूदा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) का उपयोग करते हुए एक ‘वर्चुअल’ बैंक खाते के रूप में लाभार्थी के आधार नंबर से सीमापार से भेजे गये धन को प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है।
ओपन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड का उत्पाद मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए एक ब्लॉकचैन-आधारित सीमापार भुगतान प्रणाली का प्रस्ताव करता है।
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.