नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) धातुओं को सांचे में ढालने वाले फाउंड्री उद्योग ने घरेलू बाजार का आकार अगले पांच-सात वर्षों में दोगुना कर 32 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
फाउंड्री उद्योग की संस्था आईआईएफ के अध्यक्ष देवेंद्र जैन ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा कि अगले पांच-सात वर्षों में ढलाई कारखानों की सालाना उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 2.1 करोड़ टन तक पहुंचाने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसे हासिल करने के लिए घरेलू एवं विदेशी कंपनियों से करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने की संभावना है।
भारतीय फाउंड्रीमेन संस्थान (आईआईएफ) के अध्यक्ष ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फाउंड्री उद्योग से जुड़े मसलों पर 17-19 अप्रैल तक गुजरात के गांधीनगर में ’70वें भारतीय फाउंड्री कांग्रेस एवं आईफेक्स सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है।
जैन ने बताया कि भारतीय फाउंड्री उद्योग की इस समय वार्षिक उत्पादन क्षमता करीब 1.05 करोड़ टन है जबकि इसका आकार 16 अरब डॉलर है। यह उद्योग करीब पांच लाख लोगों को सीधे तौर पर जबकि 15 लाख लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार देता है।
उन्होंने कहा, ‘हमारा मकसद है कि हम अगले पांच-सात साल में अपना बाजार आकार दोगुना करने के साथ ही अपनी क्षमता एवं रोजगार अवसरों को भी दोगुना पहुंचा दें।’
जैन ने उद्योग की क्षमता दोगुनी करने के लिए जरूरी निवेश के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘भारत के एक उभरता हुआ बाजार होने से कई घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय कंपनियां यहां पर अपने कारखाने लगाने के बारे में सोच रही हैं। निवेश के सिलसिले में काफी पूछताछ आ रही है। इस उद्योग में करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है।’
उन्होंने कहा कि कच्चे माल की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में आई तेजी ने फाउंड्री उद्योग के सामने चुनौतीपूर्ण हालात पैदा कर दिए हैं। उन्होंने पिग आयरन और स्टील स्क्रैप के उदाहरण देते हुए कहा कि नवंबर में इनके दाम क्रमशः 44 रुपये और 39 रुपये प्रति किलो पर थे लेकिन अब ये 68 रुपये और 52 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गए हैं।
जैन ने कहा कि कच्चे माल के दाम बढ़ने से उत्पादन लागत करीब 50 फीसदी तक बढ़ गई है। फाउंड्री उद्योग के उत्पादों की खपत सबसे ज्यादा वाहन क्षेत्र में होती है जिसके बाद रेलवे, इंजीनियरिंग एवं पवन ऊर्जा क्षेत्रों का स्थान आता है।
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प्रेम रमण
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