नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) फिच रेटिंग्स ने वृद्धि दर एवं बाह्य मोर्चे पर मजबूत वित्तीय स्थिति के साथ भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा है।
भारत पर प्रस्तावित 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क से चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 6.5 प्रतिशत वृद्धि दर अनुमान पर मामूली नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
फिच ने कहा, ‘‘ यदि प्रस्तावित माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार अपनाए जाते हैं, तो इससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा तथा वृद्धि संबंधी कुछ जोखिम कम हो जाएंगे।’’
केंद्र ने जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गठित मंत्रिसमूह के समक्ष ‘‘योग्यता’’ और ‘‘मानक’’ वस्तुओं व सेवाओं के लिए पांच और 18 प्रतिशत की द्वि-स्तरीय कर संरचना के साथ ही पांच से सात वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की दर का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में मौजूदा 12 और 28 प्रतिशत कर ‘स्लैब’ को समाप्त करना शामिल है।
फिच ने कहा, ‘‘ भारत की रेटिंग को उसकी मजबूत वृद्धि और ठोस बाह्य वित्तीय स्थिति का समर्थन प्राप्त है।’’
‘बीबीबी-’ सबसे निचली निवेश श्रेणी की रेटिंग है। यह रेटिंग वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी द्वारा भारत की साख रेटिंग को एक पायदान बढ़ाकर ‘बीबीबी’ करने के एक पखवाड़े के भीतर आई है।
गौरतलब है कि एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 14 अगस्त को भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दिया था। एसएंडपी ने 18 वर्ष में पहली बार भारत की साख को बढ़ाया है।
एक अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसी मॉर्निंग डीबीआरएस ने इस वर्ष मई में संरचनात्मक सुधारों का हवाला देते हुए भारत की रेटिंग बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दी थी।
एजेंसी ने वित्त वर्ष 2025-26 में सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के समान है और 2.5 प्रतिशत के ‘बीबीबी’ औसत से काफी ऊपर है।
इसने कहा कि भारत का आर्थिक परिदृश्य समकक्ष देशों की तुलना में मजबूत बना हुआ है, हालांकि पिछले दो वर्ष में इसकी गति धीमी हुई है।
एजेंसी ने कहा कि इसमें मजबूत सार्वजनिक पूंजीगत व्यय, निजी निवेश में वृद्धि और अनुकूल जनसांख्यिकी के कारण मध्यम अवधि में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि क्षमता का अनुमान लगाया गया है।
फिच ने कहा, ‘‘ यदि प्रस्तावित माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार अपनाए जाते हैं, तो इससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा तथा वृद्धि संबंधी कुछ जोखिम कम हो जाएंगे।’’
रेटिंग एजेंसी ने हालांकि ‘बीबीबी’ वर्ग के देशों की तुलना में उच्च घाटे और कर्ज का हवाला देते हुए फिच ने राजकोषीय मोर्चे पर चिंता जाहिर की है।
भाषा निहारिका अजय
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