(अभिषेक सोनकर)
हांगकांग, चार नवंबर (भाषा) एफसीसी एनालिटिक्स संदिग्ध लेनदेन की निगरानी के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी सक्षम समाधान पेश करने के लिए भारतीय वित्तीय बाजारों में प्रवेश करने पर विचार कर रही है। कंपनी के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
एफसीसी एनालिटिक्स के मुख्य कॉर्पोरेट विकास अधिकारी रिको तांग ने कहा कि हांगकांग स्थित एफसीसी एनालिटिक्स लेनदेन गतिविधियों की निगरानी के लिए एआई-संचालित केवाईसी, धन शोधन रोधी (एएमएल) समाधान और ग्राहक परिश्रम जैसी सेवाएं प्रदान करने के लिए बैंकों के साथ काम करता है।
उन्होंने यह टिप्पणी हांगकांग वित्तीय प्रौद्योगिकी सप्ताह के अवसर पर एक बातचीत के दौरान की।
तांग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ वर्तमान में हम हांगकांग में स्थित हैं जहां हमारा मुख्यालय है। हम सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में बैंकों और ‘वर्चुअल एसेट ट्रेडिंग’ मंच के साथ भी काम कर रहे हैं।’’
भारतीय बाजार में रुचि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि देश डिजिटलीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
तांग ने कहा, ‘‘ हां, हम आने वाले समय में भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाश सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि उद्योग के अनुमान के अनुसार, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के एक से दो प्रतिशत के बराबर धन का वार्षिक आधार पर शोधन किया जा रहा है।
तांग ने कहा कि संबंधित एजेंसियां धन के लेनदेन में शामिल जटिल नेटवर्क के कारण केवल एक छोटे हिस्से को ही ‘ट्रैक‘’ करने और पुनर्प्राप्त करने में सक्षम हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम लेन-देन की निगरानी और ग्राहक की उचित जांच के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) के उपकरणों का उपयोग करते हैं तथा संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट तैयार करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत निश्चित रूप से एक ऐसा बाजार है जहां आने वाले समय में एफसीसी एनालिटिक्स काम करेगा।
तांग ने एक शुरुआती कार्यक्रम ‘फेडरेटेड लर्निंग’ के बारे में भी जानकारी दी। यह बैंकों को संवेदनशील ग्राहक डेटा का खुलासा किए बिना अपनी एएमएल क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने एवं परिणाम साझा करने की अनुमति देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कार्यक्रम के पहले चरण को हांगकांग मौद्रिक प्राधिकरण (एचकेएमए) द्वारा वित्त पोषित किया गया है। अब हम इस कार्यक्रम पर लिवी बैंक और एयरस्टार बैंक के साथ काम कर रहे हैं।’’
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