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Sunday, 7 July, 2024
होमदेशअर्थजगतअक्टूबर में आयात-निर्यात में गिरावट, व्यापार घाटा कम हुआ

अक्टूबर में आयात-निर्यात में गिरावट, व्यापार घाटा कम हुआ

अक्टूबर में निर्यात 1.11 प्रतिशत गिरकर 26.38 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 16.31 प्रतिशत घटकर 37.39 अरब डॉलर पर.

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नई दिल्ली : देश का निर्यात अक्टूबर में 1.11 प्रतिशत गिरकर 26.38 अरब डॉलर रहा. इसकी प्रमुख वजह पेट्रोलियम और चर्म निर्यात में गिरावट आना है. इस अवधि में देश का आयात भी घटा है.

निर्यात में इससे पहले सितंबर में 6.57 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी और यह 26 अरब डॉलर था.
शुक्रवार को जारी आधिकारिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में देश का आयात 16.31 प्रतिशत घटकर 37.39 अरब डॉलर रहा.

अक्टूबर में व्यापार घाटा कम होकर 11 अरब डॉलर के स्तर पर रहा. पिछले साल अक्टूबर में व्यापार घाटा 18 अरब डॉलर था.

अक्टूबर में कच्चा तेल आयात सालाना आधार पर 31.74 प्रतिशत गिरकर 9.63 अरब डॉलर रहा.

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में देश का निर्यात 2.21 प्रतिशत घटकर 185.95 अरब डॉलर और आयात 8.37 प्रतिशत गिरकर 280.67 अरब डॉलर रहा. इसके चलते देश का व्यापार घाटा इस दौरान 94.72 अरब डॉलर रहा है.

निर्यात और घरेलू बाजार में साइकिल को बढ़ावा देने के लिये समिति गठित 

सरकार ने निर्यात तथा घरेलू बाजार के लिये अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप साइकिल विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 23 सदस्यों की विकास परिषद गठित की है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.

मंत्रालय ने कहा कि परिषद की अध्यक्षता उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव करेंगे. परिषद का कार्यकाल दो साल का होगा.

बयान में कहा गया कि यह कदम निर्यात तथा घरेलू बाजार के लिये वैश्विक मानकों के अनुरूप हल्की, स्मार्ट, मूल्यवर्धित, सुरक्षित तथा तेज प्रीमियम साइकिलों के डिजायन, इंजीनियरिंग तथा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उठाया गया है.

परिषद में डीपीआईआईटी, वाणिज्य विभाग, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण परिवर्तन मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय तथा भारतीय मानक ब्यूरो के नौ पदेन सदस्य होंगे. इसमें सात विशेषज्ञ तथा चार नामित सदस्य भी होंगे.

परिषद की गतिविधियों में प्रतिस्पर्धिता तथा सेवा के स्तर में सुधार लाना, भारतीय साइकिल प्रौद्योगिकी तथा इसकी मूल्य श्रृंखला में बदलाव लाना तथा साइकिल की मांग बढ़ाने के कदम उठाना शामिल हैं.

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