नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) यूरोप के प्रमुख वाहन ब्रांड रेनो, फॉक्सवैगन और स्कोडा भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उद्योग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन वित्त वर्षों में भारतीय बाजार में इन ब्रांड की बिक्री में गिरावट आई है।
वैश्विक वाहन उद्योग को आंकड़े और विश्लेषण उपलब्ध कराने वाली कंपनी जेएटीओ डायनेमिक्स के अनुसार, भारतीय बाजार में रेनो की बिक्री में सबसे अधिक गिरावट आई है।
भारतीय बाजार में कंपनी की बिक्री 2024-25 में घटकर 37,900 इकाई रह गई। यह आंकड़ा 2023-24 में 45,439 इकाई और 2022-23 में 78,926 इकाई था।
इसी तरह स्कोडा की भारतीय बाजार में बिक्री 2024-25 में 44,866 इकाई रही। यह 2023-24 के 44,522 इकाई से मामूली अधिक है। हालांकि, 2022-23 के आंकड़े 52,269 इकाई से काफी कम है।
दूसरी ओर, फॉक्सवैगन ब्रांड ने 2024-25 में 42,230 गाड़ियां बेचीं। 2023-2024 में कंपनी की बिक्री 43,197 इकाई और 2022-2023 में 41,263 इकाई रही थी।
जेएटीओ डायनेमिक्स इंडिया के अध्यक्ष रवि जी भाटिया ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘रेनो, स्कोडा और फॉक्सवैगन को भारत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।’’
भारत में इन ब्रांड के संघर्ष की वजह बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में, इन ब्रांड ने सेडान – वेंटो, रैपिड और स्काला पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया। इसकी वजह से तेजी से बढ़ते स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) खंड तक उनकी पहुंच सीमित रही।’’
भाटिया ने कहा, ‘‘इसके साथ ही ये ब्रांड अपनी उत्पाद लाइन में बदलाव करने में धीमे रहे। कई मॉडल में एक लंबे अरसे तक कोई बदलाव नहीं हुआ। इनकी नेटवर्क पहुंच भी सीमित रही है, खासकर दूसरी और तीसरी श्रेणी के बाजारों में। इससे ये ब्रांड एक बड़े उपभोक्ता वर्ग तक नहीं पहुंच पाए।’’
भाटिया ने बताया कि इसके अलावा भारत के विशिष्ट कर ढांचे ने भी इन ब्रांड की परेशानी को बढ़ाया है। भारत में चार मीटर से कम के वाहन को काफी कम शुल्क का लाभ मिलता है।
भाटिया ने कहा, ‘‘इससे जापानी और दक्षिण कोरिया के मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) को फायदा हुआ, जो किफायती कॉम्पैक्ट कार के लिए जाने जाते हैं। इसके विपरीत, यूरोपीय ब्रांड पारंपरिक रूप से बड़े मॉडल बनाते हैं और इस सीमा के भीतर प्रतिस्पर्धी पेशकश देने के लिए संघर्ष करते हैं।’’
मौजूदा नीति के तहत, चार मीटर तक की लंबाई और 1200 सीसी तक के इंजन वाले यात्री वाहन (पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी) पर 28 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और एक प्रतिशत मुआवजा उपकर लगता है। चार मीटर तक की लंबाई और 1500 सीसी तक के इंजन वाले यात्री वाहन (डीज़ल) पर 28 प्रतिशत जीएसटी और तीन प्रतिशत मुआवजा उपकर लगता है।
चार मीटर से अधिक लंबाई और 1500 सीसी इंजन क्षमता वाले यात्री वाहन पर 28 प्रतिशत जीएसटी और 17 प्रतिशत मुआवजा उपकर लगता है।
दूसरी ओर, चार मीटर से अधिक लंबाई व 1,500 सीसी से अधिक इंजन वाले एसयूवी पर 22 प्रतिशत मुआवजा उपकर के साथ 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
भाषा अजय अजय
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