नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) निर्माण श्रमिकों को भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) व्यवस्था के तहत मिलने वाले लाभ के मुकाबले ईपीएफओ की भविष्य निधि योजना बेहतर सुरक्षा देती है। एक क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने दोनों कानूनों के बीच अस्पष्टता को दूर करते हुए यह फैसला सुनाया।
क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (कोच्चि) उत्तम प्रकाश ने यह स्पष्टीकरण आदेश दिया, जो पूरे भारत में श्रम कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।
ये दोनों कानून 1) – कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (ईपीएफ अधिनियम) और 2) भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) अधिनियम, 1996 हैं।
केरल उच्च न्यायालय ने निर्माण श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को नियंत्रित करने वाले दो प्रमुख राष्ट्रीय कानूनों के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष का समाधान करने को कहा था, जिसके बाद यह आदेश आया।
अदालत ने एक रियल एस्टेट डेवलपर वीगालैंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (आरपीएफसी), कोच्चि को यह पता लगाने के लिए कहा था कि कौन सा कानून निर्माण श्रमिकों के लिए अधिक लाभकारी है।
आरपीएफसी ने निष्कर्ष निकाला कि ईपीएफ योजना बीओसीडब्ल्यू ढांचे की तुलना में निर्माण श्रमिकों के लिए बेहतर सुरक्षा देती है। आदेश में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत आजीवन पेंशन कवरेज, कर्मचारी जमा से जुड़ी बीमा योजना (ईडीएलआई) के माध्यम से पर्याप्त मृत्यु और विकलांगता लाभ, राज्यों और नियोक्ताओं के बीच लाभों का हस्तांतरण, उच्च प्रतिफल के साथ दीर्घकालिक बचत और शिकायत निवारण के लिए प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था का जिक्र किया गया।
आदेश में कहा गया कि इसके विपरीत, बीओसीडब्ल्यू कल्याण बोर्ड पर्याप्त कल्याण उपकर लेने के बावजूद, अकुशलता, कम कवरेज और धन के कम उपयोग से जूझ रहा है।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.