(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा है कि देश में रोजगार तो बढ़ रहा है, लेकिन नियमित नौकरियों के मामले में सात साल में वास्तविक पारिश्रमिक महंगाई के हिसाब से नहीं बढ़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि नौकरी और कौशल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, आप में हुनर है तो उससे नौकरी मिलना आसान हो जाता है।
विरमानी के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या के मामले में हमारे पास अवसर है, उसका लाभ उठाने की जरूरत है और इसके लिए शिक्षण और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार महत्वपूर्ण है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘पीएलएफएस (आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण) आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात साल में कामगार-जनसंख्या अनुपात साफ तौर पर बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि नौकरियों की संख्या जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले अधिक बढ़ रही हैं। इसमें उतार-चढ़ाव भी है लेकिन जो रुख है, वह बताता है कि नौकरियां बढ़ रही है। अत: यह कहना गलत है कि नौकरियां नहीं बढ़ रही हैं।’’
उल्लेखनीय है कि पीएलएफएस की सालाना रिपोर्ट 2023-24 (जुलाई-जून) के अनुसार, कामगार-जनसंख्या अनुपात सभी उम्र के व्यक्तियों के मामले में 2023-24 में बढ़कर 43.7 प्रतिशत हो गया, जो 2017-18 में 34.7 प्रतिशत था।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर पीएलएफएस में पारिश्रमिक के आंकड़ों को देखें, जो कैजुअल वर्कर (ठेके पर काम करने वाले) हैं, उनका वास्तविक वेतन सात साल के दौरान बढ़ा है और इस दौरान उनकी स्थिति सुधरी है। आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।’’
जाने-माने अर्थशास्त्री विरमानी ने कहा, ‘‘लेकिन एक बड़ा मुद्दा नियमित वेतन वाली नौकरियां के मामले में है। इस श्रेणी में सात साल में वास्तविक पारिश्रमिक मुद्रास्फीति के हिसाब से नहीं बढ़ा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक मेरा आकलन है, महंगाई के हिसाब से पारिश्रमिक नहीं बढ़ने का मुख्य कारण है कौशल की कमी है। हम कौशल वाली नौकरियां नहीं ले रहे हैं। मैंने कई देशों के आंकड़ों को देखा है… उसके आधार पर मैं कहूंगा इसपर (कौशल) काम करना होगा। यह काफी कमजोर स्थिति में है। केंद्र सरकार कदम उठा रही है। राज्यों को भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है, जिला स्तर पर काम करने की जरूरत है, क्योंकि नौकरियों का सृजन वहीं होगा।’’
नीति आयोग के सदस्य के अनुसार, यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि कौशल जब बढ़ता है, उत्पादकता बढ़ती है, और वास्तविक वेतन बढ़ता है। यह भारत में भी होता है और दुनिया में भी होता है। हम यह सोचते हैं कि हम जो काम कर रहे हैं, वहीं करते रहें और वेतन बढ़ेगा, यह ठीक नहीं है। अत: स्किलिंग (कौशल विकास) बहुत जरूरी है। और जो काम कर रहे हैं केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि जो नये लोग आ रहे हैं, उनमें भी कौशल विकास की जरूरत है।
विरमानी ने कहा, ‘‘हमने जो विश्लेषण किया है, उसके अनुसार शिक्षा के हर स्तर पर कौशल विकास की जरूरत है। कई बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, उनके लिए उसी हिसाब से कौशल विकसित करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि सभी को एआई (कृत्रिम मेधा) या इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर बनने के लिए ही कौशल की जरूरत है। हमें उन बच्चों के बारे में भी सोचना है जो बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं।
विरमानी ने कहा, ‘‘वास्तव में थोड़ी ‘इमेज’ की भी समस्या है। मैं कई आईटीआई में गया हूं। ऐसी नौकरियां हैं, जहां कोई आवेदन नहीं करता। मशीनिस्ट (मशीन चलाने वाला) अच्छा काम है, वेतन भी अच्छा है। लेकिन उसमें कोई आ ही नहीं आ रहा। इसी तरह के कई और काम हैं, जहां लोग नहीं आ रहे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम सिर्फ ऐसी नौकरियों को देखें कि दफ्तर में जाएंगे और कागजों पर हस्ताक्षर करेंगे।’’
विरमानी के अनुसार, प्रमुख समस्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल की कमी है। हर स्तर, निचले, मध्यम और उच्चस्तर पर कौशल में सुधार करना होगा। हमें हर तरह की नौकरियों के लिए कौशल की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘नौकरी और कौशल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। आप में हुनर है तो उससे नौकरी मिलना आसान हो जाता है। यह समझने की जरूरत है।’’
एक अन्य सवाल के जवाब में विरमानी ने कहा, ‘‘विकसित भारत के लिए हर जगह सुधार की जरूरत है। हमें अवसर देखने चाहिए और उसका उपयोग करना चाहिए… ग्लोबल डेमोग्राफिक (वैश्विक जनसंख्या) के स्तर पर जो हमारे पास अवसर हैं, उनका लाभ उठाने की जरूरत है। इसके लिए शिक्षा के साथ शिक्षण और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार महत्वपूर्ण है। यहां पर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे हम उच्च आय के स्तर पर पहुंचे। इसी प्रकार आपूर्ति श्रृंखला है, जिसपर काम करने की जरूरत है।’’
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