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Sunday, 17 November, 2024
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मांग बढ़ने के बीच भारतीय खिलौना विनिर्माताओं का उत्पादन बढ़ाने पर जोर

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नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) खिलौनों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने और आयात के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन अनिवार्य करने जैसे कदमों से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलने के अलावा खिलौना उद्योग को वैश्विक बाजारों में संभावनाएं तलाशने में भी मदद मिली है।

खिलौना उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा है कि इन सरकारी कदमों से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा हाल के समय में घरेलू किरदारों को अहमियत देने से भी बाजार को मजबूती मिली है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, भारतीय पौराणिक पात्रों, देसी फिल्म के पात्रों और छोटा भीम जैसे सुपरहीरो पर आधारित खिलौनों की मांग बढ़ रही है क्योंकि घरेलू कंपनियां चीन और कुछ अन्य देशों के प्रभुत्व से अलग हो गए हैं। अब ‘मेड-इन-इंडिया’ खिलौनों की घरेलू बाजारों में बहुत स्पष्ट बढ़त है।

भारतीय खिलौना संघ के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने कहा कि विनिर्माता बढ़ती स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खिलौनों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने और बीआईएस प्रमाणन अनिवार्य करने से खिलौनों का आयात घटा है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक आंकड़ों के अनुसार, भारत में खिलौनों का आयात 2018-19 में 30.4 करोड़ डॉलर था लेकिन यह वित्त वर्ष 2021-22 में घटकर 3.6 करोड़ डॉलर रह गया।

इसकी तुलना में घरेलू स्तर पर तैयार खिलौनों का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में 10.9 डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 17.7 डॉलर हो गया है।

उद्योग मंत्रालय के अनुसार, यह क्षेत्र भी अब वैश्विक हो रहा है, क्योंकि विनिर्माता नए बाजारों की खोज कर रहे हैं और मध्य पूर्व तथा अफ्रीकी देशों में निर्यात बढ़ा रहे हैं।

उद्योग मंडल फिक्की और केपीएमजी की एक संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय खिलौना बाजार के वर्ष 2024-25 तक बढ़कर दो अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। वर्ष 2019-20 में यह एक अरब डॉलर पर था।

भाषा

रिया रिया प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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