नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि अन्य विकसित देशों के विपरीत मोदी सरकार ने कोविड महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार के लिए कर में कोई बढ़ोतरी नहीं की और सरकार का जोर बुनियादी ढांचा पर सार्वजनिक व्यय बढ़ाने पर रहा क्योंकि इसका प्रभाव व्यापक होता है।
वित्त विधेयक 2022 पर लोकसभा में चली चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 2 लाख रुपये से अधिक की आय पर कराधान की ‘मामूली दर’ 93.5 प्रतिशत निर्धारित की थी और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1951 में मूल्य वृद्धि के लिये कोरियाई युद्ध को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि भारत उस समय विश्व स्तर पर आपस में बहुत अधिक नहीं जुड़ा था।
लोकसभा ने वित्त मंत्री के जवाब के बाद कुछ सरकारी संशोधनों को स्वीकार करते हुए ‘वित्त विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी। इसके साथ वित्त वर्ष 2022-23 की बजटीय प्रक्रिया पूरी हो गई है।
सीतारमण ने कहा कि सरकार का कंपनी कर समेत अन्य करों की दर में कमी करने पर भरोसा रहा है। इसी का नतीजा है कि पिछले वित्त वर्ष में 6.6 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले इस वित्त वर्ष में अब तक कंपनी कर संग्रह 7.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि कंपनी कर में कमी से अर्थव्यवस्था, सरकार और कंपनियों को मदद मिली है और हम प्रगति देख रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘कारोबार करने और कंपनियां चलाने वाले लोगों के साथ गर्व की भावना का व्यवहार किया जाता है ताकि वे रोजगार पैदा कर सकें।’’
ईंधन के दाम में वृद्धि का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि इसका कारण रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध है। सभी देशों पर इसका असर पड़ा है क्योंकि इससे तेल की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘1951 में भी पंडित जवाहरलाल नेहरू कह सकते थे कि कोरियाई युद्ध से भारत में महंगाई पर असर पड़ सकता है… लेकिन आज जब विश्व स्तर पर जुड़ी हुई दुनिया में अगर हम कहें कि यूक्रेन (युद्ध) हमें प्रभावित कर रहा है, तो यह स्वीकार नहीं किया जाता है।’’
सीतारमण ने कहा कि कर को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कभी भी आम लोगों के बोझ को कम करने के बारे में नहीं सोचा, वहीं मौजूदा सरकार लगातार यह सुनिश्चित करने के लिये काम कर रही है कि लोगों पर किसी प्रकार का बोझ न पड़े।
उन्होंने कहा कि भारत शायद एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था है जिसने कोविड महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये नये करों का सहारा नहीं लिया। वहीं दूसरी तरफ जर्मनी, फ्रांस, कनाडा और ब्रिटेन सहित 32 देशों ने महामारी के बाद कर की दरों में वृद्धि की है।
वित्त मंत्री ने बजट में पूंजी व्यय पर जोर का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कर बढ़ाने के बजाय हमने पैसा डालने के उपाय किये जिसका व्यापक प्रभाव होता है।’’ सार्वजनिक व्यय से पुनरूद्धार को गति देने के इरादे से वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में पूंजी व्यय 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है।
सीतारमण ने कहा कि करदाताओं की संख्या कुछ साल पहले तक पांच करोड़ थी जो बढ़कर अब 9.1 लाख करोड़ रुपये हो गयी है। सरकार कर दायरा बढ़ाने के लिये कदम उठा रही है। अधिकारियों तथा करदाताओं के एक-दूसरे के सामने आए बगैर कर-आकलन की व्यवस्था को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
छाता पर सीमा शुल्क लगाने को लेकर सदस्यों की ओर से जतायी गयी चिंताओं पर उन्होंने कहा कि यह कदम एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) द्वारा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि गुजरात में आईएफएससी लगातार प्रगति कर रहा है और कई वैश्विक फंड और बीमा कंपनियां गुजरात अंतररराष्ट्रीय वित्तीय प्रौद्योगिकी-सिटी (गिफ्ट) स्थित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में कार्यालय स्थापित कर रही हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दुरूपयोग के आरोपों पर सीतारमण ने कहा कि अपराध होने के बाद ही ईडी सामने आता है। अन्य जांच एजेंसियां द्वारा अपराध की जांच करने के बाद जरूरत पड़ने पर ईडी उस पर गौर करता है।
जीएसटी को लेकर सदस्यों की तरफ से जतायी गई चिंताओं के जवाब में उन्होंने कहा कि कारावास केवल गंभीर प्रकृति के मामलों में है, न कि छोटी गलतियों या गलत प्रविष्टियों के लिये।
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रमण प्रेम
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