scorecardresearch
Friday, 27 December, 2024
होमदेशअर्थजगत2022 की दूसरी तिमाही में EDTECH स्टार्ट-अप फंडिंग में 50% की गिरावट, 'खराब दौर' है जिम्मेदार - रिपोर्ट

2022 की दूसरी तिमाही में EDTECH स्टार्ट-अप फंडिंग में 50% की गिरावट, ‘खराब दौर’ है जिम्मेदार – रिपोर्ट

Text Size:

नई दिल्ली: सोमवार को जारी प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही (अप्रैल से जून) में भारत में शिक्षा तकनीक की फंडिंग में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.

कुल मिलाकर, भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में फंडिंग पहली तिमाही (जनवरी से मार्च) में  11.3 बिलियन डॉलर से 40 प्रतिशत घटकर दूसरी तिमाही में 6.8 बिलियन डॉलर पर आ गई.

PwC ने ‘स्टार्टअप डील ट्रैकर – Q2 CY22’ शीर्षक से रिपोर्ट में कहा, ‘गिरावट को वैश्विक मंदी, तकनीकी स्टॉक वैल्यूएशन में कमी, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.’

पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर, डील और इंडिया स्टार्ट-अप्स लीडर अमित नवका ने कहा कि स्थिति को बदलने में कम से कम एक साल लगेगा. उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि इसकी फंडिग में आए इस बदलाव को स्थिर होने में 12-18 महीने लगेंगे. जिसके दौरान स्टार्ट-अप के लिए अपने ‘फंडिंग रनवे’ को बढ़ाना फायदेमंद रहेगा’

एक फंडिंग रनवे इस बात का माप है कि किसी स्टार्टअप के पास नकदी खत्म होने से पहले कितना समय है. आम तौर पर, यह महीनों में मापा जाता है.

एडटेक विशेषज्ञों ने दिप्रिंट को बताया कि फंडिंग की मंदी एक अस्थायी घटना है.

फिनटेक, SaaS (सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस), मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, लॉजिस्टिक एंड ऑटो टेक और डी 2 सी (डायरेक्ट टू कंज्यूमर) जैसे पांच क्षेत्रों को दूसरी तिमाही में स्टार्ट-अप के लिए कुल फंडिंग का 77 प्रतिशत प्राप्त हुआ है.

लेकिन, फिनटेक, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और ई-कॉमर्स को छोड़कर, एडटेक सहित सभी क्षेत्रों की फंडिंग में गिरावट आई है. एडटेक सेक्टर की कुल फंडिंग पहली तिमाही में 915 मिलियन डॉलर से दूसरी तिमाही में गिरकर 456 मिलियन डॉलर हो गई.

रिपोर्ट में दो एडटेक स्टार्ट-अप का जिक्र किया गया है जिन्होंने दूसरी तिमाही में काफी बड़ी फंडिंग जुटाने में सफलता हासिल की है. अपग्रेड ने हाल ही में 225 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई तो वहीं फिजिक्सवाला इस तिमाही में 100 मिलियन डॉलर जुटाकर यूनिकॉर्न लिस्ट में शामिल हो गया है. एक ‘यूनिकॉर्न’ स्टार्ट-अप उस स्टार्टअप को कहा जाता है जिसकी मार्किट वैल्यू एक अरब डॉलर के पार कर जाती है. फिजिक्सवाला एक ऐसा प्लेटफार्म जो कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को पढ़ाता है.

जबकि 2020 में भारतीय एडटेक सेक्टर का मूल्य 750 मिलियन डॉलर था, इसके 2025 तक 4 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.


यह भी पढ़ें: शपथ, दलबदल विरोधी हलफनामा फेल- BJP के संपर्क में MLAs, कांग्रेस के गोवा प्रभारी ने किया कन्फर्म


‘अस्थायी घटना’

उद्योग के विशेषज्ञ इस बात से सहमत थे कि एडटेक क्षेत्र खराब दौर से गुजर रहा है लेकिन मंदी के अस्थायी होने की उम्मीद है.

स्कूली छात्रों के लिए एक एडटेक प्लेटफॉर्म कनेक्टएड टेकनॉलोजी के सीईओ लविन मीरचंदानी ने बताया, ‘एडटेक स्टार्ट-अप्स के लिए फंडिंग कम होने का एक कारण यह है कि कंपनियों ने फालतू खर्च काफी ज्यादा किया था. अब, वे लागत में कटौती कर रहे हैं … हालांकि, एडटेक उद्योग की वृद्धि नीचे नहीं जाएगी. यह लगातार बढ़ रही है.’ वह आगे कहते हैं, ‘ फंडिंग में मंदी एक अस्थायी घटना की तरह नजर आ रही है और उद्योग अगले 9 से 10 महीनों में इससे उबर आने चाहिए.’

जून में अनएकडेमी के सह-संस्थापक गौरव मुंजाल ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए थे जिसमें उन्होंने कहा था कि एडटेक यहां बने रहने के लिए है. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा,  ‘कभी नहीं सोचा था कि मुझे एक दिन एडटेक का बचाव करना होगा.’

एक अन्य एडटेक प्लेटफॉर्म पर्पल टुरोट के संस्थापक और सीईओ गौरव परती ने दिप्रिंट को बताया कि फंडिंग में गिरावट कोई नई बात नहीं है क्योंकि हर बाजार अपने चक्र से गुजरता है. उन्होंने जोर देकर कहा, ‘एडटेक या एजुकेशन एक हमेशा बने रहने वाला क्षेत्र है. स्कूल खुलने के साथ ही अच्छे संस्थानों की मांग हमेशा की तरह बनी रहेगी. कैश बर्न के आधार पर अव्यावहारिक व्यवसाय मॉडल के लिए यह मुश्किल होगा. लेकिन अच्छा बिजनेस कर रही कंपनियां खुद का आगे बढ़ाना जारी रखेंगी और इन्हें फंड मिलता रहेगा.’

आईवीकैप वेंचर्स एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर विक्रम गुप्ता स्टार्ट-अप में एक निवेशक भी हैं. उन्होंने बताया कि फंड की कमी अस्थायी है.

गुप्ता ने कहा, ‘सच है, एडटेक स्टार्ट-अप, जो भारतीय इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस समय मंदी के दौर से गुजर रहा है लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि यह स्थिति केवल शॉर्ट टर्म है.’

उन्होंने कहा, ‘वर्नाक्यूलर एडटेक स्पेस में इनोवेशन हाइब्रिड मॉडल को टियर 2 और टियर 3 शहरों के लिए सुलभ बनाना और ग्राहक अधिग्रहण लागत में कमी लाना, इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएगा.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: नारियल के खोल से चलने वाले स्टोव, साइकिलिंग- श्रीलंकाई आर्थिक संकट से बचने के लिए अपना रहे 5 जुगाड़


share & View comments