नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) खाद्य तेल उत्पादकों का निकाय आईवीपीए ने सरकार से जुलाई 2022 से इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड पर लगे प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया है।
भारतीय खाद्य तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) का कहना है कि इन प्रतिबंधों के कारण कंपनियों को पूंजी की कमी हो रही है और इस क्षेत्र में निवेश घट रहा है।
आईवीपीए ने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा लागू किए गए प्रतिबंधों के तहत, उल्टा शुल्क ढांचा यानी कच्चे माल पर कम और तैयार उत्पादों पर अधिक शुल्क के कारण जमा हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड नहीं मिल रहा है, जिससे खासतौर पर छोटे और मध्यम उद्यमों को नकदी प्रवाह में दिक्कत हो रही है।
मौजूदा नियमों के अनुसार, खाद्य तेल पर सिर्फ पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है,जबकि उसे बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजो, जैसे पैकेजिंग, रसायन, आदि पर 12 से 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इस वजह से कंपनियों का बहुत सारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जमा हो जाता है, जिसका वे इस्तेमाल नहीं कर पातीं।
आईवीपीए ने अपने बयान में कहा,’जब कंपनियों को कर वापसी नहीं मिलता, तो उनके पास व्यापार चलाने के लिए जरूरी पैसे की कमी हो जाती है। इससे खासकर छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के कामकाज पर असर पड़ता है।’’
संगठन ने यह भी कहा कि जब कंपनियों को उनका कर रिफंड नहीं मिलता, तो उनकी लागत बढ़ जाती है और इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है, क्योंकि कंपनियां ये बढ़ी हुई लागत तेल की कीमतों में जोड़ देती हैं। इससे गरीब और निम्न आय वर्ग के लोग सस्ते लेकिन मिलावटी या खराब तेल खरीदने को मजबूर हो सकते हैं।
आईवीपीए के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 तक कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड मिल रहा था, लेकिन जुलाई 2022 में यह रोक दिया गया।
आईवीपीए ने सरकार से अपील की कि घी और मक्खन जैसी जरूरी चीजों की तरह खाद्य तेल तेल को भी रिफंड लाभ मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि नीतियों में स्थिरता जरूरी है, ताकि इस क्षेत्र में निवेश बढ़े और विदेशी तेल पर निर्भरता कम हो।
भाषा योगेश रमण
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