मुंबई, 29 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में डिजिटल मुद्रा का चलन बढ़ रहा है। मार्च 2025 के अंत तक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) या ई-रुपये का मूल्य बढ़कर 1,016 करोड़ रुपये हो गया जो इससे एक साल पहले 234 करोड़ रुपये था।
आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि सीबीडीसी के जरिये सीमापार भुगतान को प्रायोगिक आधार पर शुरू करने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। हालांकि उसने इस बारे में कोई समयसीमा नहीं बतायी।
सीबीडीसी को पहली बार नवंबर 2022 में थोक लेन-देन के लिए प्रायोगिक आधार पर पेश किया गया था। उसके बाद खुदरा लेनदेन के लिए इसे पेश किया गया। सीमापार भुगतान को सरल बनाना सीबीडीसी के घोषित लक्ष्यों में से एक है। सरकारी बिटकॉइन जैसी गैर-सरकारी डिजिटल मुद्राओं से मुद्रा प्रणाली के समक्ष उत्पन्न चुनौती का सामना करने के लिए डिजिटल मुद्रा को पेश किया गया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों आधारों पर सीमा पार भुगतान के लिए परीक्षण आधार पर सीबीडीसी शुरू करने की संभावना तलाश रहा है। इसका मकसद भुगतान में लगने वाले समय, दक्षता और पारदर्शिता से जुड़ी चुनौतियों से पार पाना है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनिंदा देशों के साथ पायलट आधार पर द्विपक्षीय सीमापार सीबीडीसी की संभावना टटोली जा रही है। इस संदर्भ में रूपरेखा, तकनीकी पहलुओं और उपयोग के मामलों को अंतिम रूप देने में प्रगति हुई है।
बहुपक्षीय सीबीडीसी पहल में रिजर्व बैंक की विशेष रूप से ‘बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) इनोवेशन हब’ के तहत भागीदारी पर भी विचार किया जा रहा है।
केंद्रीय बैंक का लक्ष्य नये उपयोग के मामलों और सुविधाओं को पेश करके ई-रुपया-खुदरा और ई-रुपया-थोक में चल रहे पायलट परियोजनाओं के दायरे का और विस्तार करना है। साथ ही पारदर्शिता, ग्राहक सुविधा और दक्षता बढ़ाने के लिए ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ ढांचे के तकनीकी पहलुओं में भी सुधार करना है।
वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक चलन में 857 करोड़ रुपये का ई-रुपया 500 रुपये के मूल्यवर्ग में है। वहीं 200 रुपये के मूल्यवर्ग में 91 करोड़ रुपये और 100 रुपये के मूल्यवर्ग में 38 करोड़ रुपये चलन में हैं।
आरबीआई ने व्यक्ति-से-व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम) के बीच लेन-देन के शुरुआती उपयोग मामलों से शुरू करते हुए वित्त वर्ष 2024-25 में ऑफलाइन और कुछ भुगतान को शामिल करने के लिए केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा-खुदरा पायलट का विस्तार किया।
रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 के अंत तक, ई-रुपया खुदरा पायलट का विस्तार 17 बैंकों और 60 लाख उपयोगकर्ताओं तक किया जा चुका है।
इसके इस्तेमाल को बढ़ाने और वितरण में सुधार करने के लिए कुछ गैर-बैंकिंग इकाइयों को सीबीडीसी वॉलेट की पेशकश करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, चार एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) को जोड़कर ई-रुपया-थोक का दायरा बढ़ाने के साथ विविधीकरण किया गया है।
निर्धारित क्षेत्र में उपयोग (प्रोग्रामेबिलिटी) के मामलों में बैंक ईंधन/भोजन के लिए कर्मचारी भत्ते के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी इसका उपयोग कर रहे हैं।
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा ने सुभद्रा योजना के तहत 88,000 लाभार्थियों को ई-रुपया भुगतान किया है। साथ ही परिभाषित अंतिम उपयोग के साथ लाभार्थियों को धन अंतरित करने के लिए सीबीडीसी की ‘प्रोग्रामेबिलिटी’ सुविधा का लाभ उठाने के लिए केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ बातचीत जारी है।
भाषा रमण प्रेम
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