नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने मंच पर किसी तीसरे पक्ष के विक्रेता को किसी अन्य विक्रेता के नाम या चिह्न और उत्पाद सूची से ‘‘जबरन जुड़ने’’ (लैच ऑन) की अनुमति नहीं दे सकती हैं।
अदालत ने कहा कि ऐसा करना किसी दूसरे की पीठ पर सवारी करने की तरह है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘‘लैच ऑन किसी अन्य संस्था की प्रतिष्ठा को भुनाने का एक तरीका है और इस तरह के आचरण की अनुमति देने से पहले ब्रांड के मालिक के साथ ही लिस्टिंग मालिक की सहमति भी जरूरी होगी।’’
एक ऑनलाइन वस्त्र विक्रेता द्वारा एक ई-कॉमर्स मंच के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की।
वादी ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी के मंच ने तीसरे पक्ष के विक्रेताओं को अपनी उत्पाद सूची में लैच ऑन करने की अनुमति दी थी।
भाषा पाण्डेय प्रेम
प्रेम
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.