नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) कपड़ा सचिव यू पी सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि कपास पर आयात शुल्क हटाने से कीमतों में कमी लाने में मदद मिल सकती है।
वित्त मंत्रालय ने 13 अप्रैल को कपास आयात पर 30 सितंबर तक के लिए सीमा शुल्क समाप्त कर दिया है। यह एक एक ऐसा कदम है जिससे कपड़ा उद्योग को फायदा होगा और उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम रहेंगी।
मौजूदा समय में कपास के आयात पर पांच प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) और पांच प्रतिशत कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी) लगता है। कपड़ा उद्योग घरेलू कीमतों को कम करने के लिए शुल्क में छूट की मांग कर रहा था।
सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह उन लोगों को सक्षम बनायेगा जो आयात करना चाहते हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि एक या दो दिन के अंदर आप निश्चित रूप से कीमतों पर असर देखेंगे, लेकिन साथ ही हम कीमतों में बहुत कमी होने की उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि पूरी दुनिया में कपास की कमी है।’’
भारत में कपास की फसलें बेमौसम बारिश से प्रभावित होती हैं और अमेरिका में सूखे जैसे हालात हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आपूर्ति कम है, मांग अधिक है… आयात शुल्क हटाने से निश्चित रूप से भारत में कीमतों पर असर पड़ेगा।’’
अक्टूबर, 2021 में कपास की आवक के बाद से कीमतों में इजाफा हो रहा है।
कपड़ा उद्योग राहत की मांग कर रहा है क्योंकि कपास की कीमतें करीब 90,000 रुपये प्रति कैंडी तक पहुंच गई हैं।
सिंह ने कहा कि किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें एमएसपी की तुलना में लगभग दोगुना अधिक कीमत मिल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल हमें कपास के रकबे में कम से कम 10-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है क्योंकि उन्हें (किसानों को) बहुत अच्छी कीमत मिली है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि कपास ही नहीं इस्पात और सीमेंट जैसे सभी कच्चे माल की कीमतें अधिक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसी एक घटना नहीं है जो भारत तक ही सीमित है, यह स्थिति हर जगह है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उत्पादन नहीं बढ़ रहा है लेकिन खपत हर साल बढ़ रही है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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