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Friday, 22 November, 2024
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R&D का काम प्राइवेट फर्म्स को देना चाहती है CII, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को माने लोन कोलैटरल

CII ने उद्योग-शिक्षा और उद्योग-सरकार R&D की सुविधा के लिए निजी कंपनियों को सरकरी फंडिंग के दायरे में लाने के लिए वित्त मंत्रालय से सिफारिश की है जो IPR- संचालित हो सकता है.

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नई दिल्ली: देश में रिसर्च और डेवलपमेंट (आर एंड डी) सेक्टर को विकसित करने में मदद करने के लिए, इंडिया इंक ने निजी कंपनियों को ‘सीमित तरीके’ से सरकारी फंडिंग के दायरे में लाने की सिफारिश की है साथ ही आईपी ​​​​​​(इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) को बैंकों से लोन के लिए नीतिगत सुधारों का सुझाव भी दिया.

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने केंद्रीय बजट 2023-24 से पहले वित्त मंत्रालय को एक प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘टेक्नोलॉजी आज सभी आर्थिक गतिविधियों का आधार बन चुकी है. अगर भारत को 2047 में स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक एक विकसित देश बनना है, तो इस यात्रा में टेक्नोलॉजी को एक प्रमुख स्तंभ बनाना होगा.’

उद्योग निकाय ने सिफारिश की है कि सरकार उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सदस्यों को जोड़कर एक जॉइंट एडवाइजरी काउंसिल बनाने पर विचार करे. प्रस्ताव के अनुसार, इस एडवाइजरी काउंसिल को एक ऐसे मंच के रूप में काम करना चाहिए जहां उद्योग और सरकार 2030 तक 2.5 प्रतिशत के अंतरिम लक्ष्य के साथ 2047 तक आर एंड डी में राष्ट्रीय निवेश को वर्तमान स्तर 0.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत तक बढ़ाने पर चर्चा और विचार-विमर्श कर सकें.

इसमें यह भी सुझाव दिया गया कि ‘औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और उद्योग-अकादमिक और उद्योग-सरकार आरएंडडी को सुविधाजनक बनाने जो आईपीआर-ड्रिवेन है वह संचालित हो सकता है, साथ ही निजी कंपनियों को सीमित तरीके से सरकारी फंडिंग के अंतर्गत लाना विवेकपूर्ण हो सकता है.’

इसके लिए, उद्योग निकाय ने सरकार द्वारा प्रायोजित आर एंड डी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर), विशेष रूप से नियम 233 पर फिर से विचार करने की मांग की है.

जीएफआर भारत सरकार के नियमों और आदेशों का संकलन है, जिसका पालन सार्वजनिक वित्त से जुड़े मामलों से निपटने के दौरान सभी द्वारा किया जाता है, और रूल-233, मंत्रालयों या किसी अन्य सरकारी विभाग द्वारा परियोजनाओं या योजनाओं के स्पॉन्सरशिप से संबंधित है.

जीएफआर में सरकार के लिए इंडस्ट्री के रिसर्च एंड डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट्स की सीधी फंडिंग के प्रोविजन के बारे में जिक्र करते हुए प्रेजेंटेशन में कहा, ‘इसके द्वारा सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं और/या आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद), डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन), सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद), आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद), इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) आदि में रिसर्च के द्वारा प्राप्त रिजल्ट के आधार पर आईपीआर की लाइसेंसिंग और इंडस्ट्री को टेक्नॉलजी ट्रांसफर की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी.’

इसने बजट 2022-23 में एक प्रस्ताव को लागू करने की भी मांग की, जिसमें उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षाविदों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास को खोलने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निजी उद्योग और स्टार्टअप के लिए निर्धारित किया गया था.

उद्योग मंडल ने एक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव दिया है जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), बैंकों, उद्योग और चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे स्टेक होल्डर्स को पॉलिसी गैप की समीक्षा के लिए एक मंच पर लाता है ताकि आईपी को बैंकों से ऋण के लिए स्वीकार्य कोलैटरल माना जा सके.

(अनुवादः अलमिना खातून / शिव पाण्डेय, संपादनः अलमिना खातून)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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