नई दिल्ली: पर्यटन उद्योग से जुड़े संगठनो के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध और कई विकसित देशों में मुद्रास्फीति में वृद्धि की वजह से ग्लोबल टूरिज्म में नए सिरे से आई मंदी का सामना करने में भारत के लिए उसका बढ़ता घरेलू पर्यटन काफी मददगार साबित हो रहा है.
कई देशों में महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन और प्रतिबंधों को हटाने के बाद ग्लोबल टूरिज्म में तेजी देखी गई थी. 26 सितंबर को जारी संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की विश्व पर्यटन बैरोमीटर रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में देखें तो जनवरी से जुलाई 2022 में दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन लगभग तीन गुना हो गया था.
बैरोमीटर की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसका मतलब था कि इस क्षेत्र ने पूर्व-महामारी के स्तर के लगभग 60 फीसदी हिस्से को रिकवर कर लिया है. इस क्षेत्र में हो रहा नियमित सुधार अंतरराष्ट्रीय यात्रा के साथ-साथ यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील या उन्हें समाप्त किए जाने की मजबूत जरूरत के बारे में भी बताता है (86 देशों में 19 सितंबर 2022 तक कोई कोविड-19 की वजह से कोई प्रतिबंध नहीं लगा था).
लेकिन हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि इस उद्योग में शुरू में तेजी से जो सुधार होता दिख रहा था, उसने धीरे-धीरे अपनी गति को कम कर दिया है. दरअसल बढ़ती लागत ने उपभोक्ताओं की जेब पर खासा असर डाला है.
यूएस की वित्तीय सूचना और विश्लेषक फर्म एसएंडपी ग्लोबल ने 6 अक्टूबर को जारी की गई अपनी ग्लोबल सेक्टर परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) रिपोर्ट में कहा, ‘सितंबर के आंकड़े पर्यटन और मनोरंजन गतिविधि में नए सिरे से गिरावट की ओर इशारा कर रहे हैं. आठ महीनों में ऐसा पहली बार सामने आया है, क्योंकि बढ़ती महंगाई ने महामारी के बाद स्थितियों में सुधार पर असर डाला है. तीसरी तिमाही के अंत में कवर किए गए सभी क्षेत्रों की तुलना में इस क्षेत्र में इनपुट लागत सबसे तेजी से बढ़ी है.’
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पीएमआई संबंधित सेक्टर की कंपनियों के परचेजिंग मैनेजर द्वारा सवालों के जवाब के आधार पर उद्योगों को स्कोर करता है. अगर कुल स्कोर 50 से ऊपर है, तो इसका मतलब है कि वह सेक्टर आगे बढ़ रहा है. जबकि 50 से नीचे का स्कोर उस सेक्टर में आने वाली गिरावट को दर्शाता है. वैश्विक पर्यटन और मनोरंजन क्षेत्र के सितंबर के आंकड़े आठ महीनों में पहली बार 50 अंक से नीचे आए हैं.
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी के कंसल्टिंग सीईओ आशीष गुप्ता ने समझाया ‘यूक्रेन संकट की वजह से बढ़ती मंहगाई, तेल उत्पादन में कटौती के ओपेक के हालिया फैसले और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में आसन्न मंदी का मतलब है कि पर्यटन फिर से पीछे की तरफ जा सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘ज़ूम ने पहले ही कंपनियों को अपने कर्मचारियों के ट्रैवेलिंग पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए एक प्रभावी विकल्प दिया हुआ है. संभावना है कि लोग अब महंगी अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाने की बजाय घरेलू यात्रा को प्राथमिकता देना शुरू कर देंगे.’
हालांकि 2022 के आधिकारिक आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन उद्योग से जुड़े संगठनों का मानना है कि भारत में निश्चित रूप से डोमेस्टिक टूरिज्म में तेजी आई है.
भारत में खासतौर पर जम्मू और कश्मीर घूमने जाने के लिए लोगों की चाह काफी बढ़ी है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, ‘जनवरी 2022 के बाद से यहां 1.62 करोड़ पर्यटकों की रिकॉर्ड संख्या देखी गई है, जो आजादी के इन 75 सालों में सबसे ज्यादा है.’
होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव एम पी बेजबरुआ ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस साल, यह (घरेलू पर्यटन) निश्चित रूप से यह संख्या 100 करोड़ विजिट से आगे निकल जाएगी.’ वह कहते हैं, ‘मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2022 में यह 100 करोड़ से 120 करोड़ विजिट के बीच रहेगा. यह और भी ज्यादा हो सकता है क्योंकि डोमेस्टिक टूरिज्म बढ़ रहा है.’
गुप्ता ने समझाया कि बढ़ती लागत का असर पड़ रहा है, ‘अगर आप देखें, तो सभी उड़ानें पूरी तरह से बुक हैं, होटल पूरी तरह से बुक हैं, और दोनों के लिए कीमतें पहले से काफी ज्यादा हैं’
उन्होंने कहा, ‘जो लोग अन्यथा विदेश यात्रा करते थे. वे इसके बजाय भारत के दूसरे राज्यों में घूमना पसंद कर रहे हैं.’
भारत इस स्थिति से उबरने में सक्षम
पर्यटन मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक, 232 करोड़ से अधिक घरेलू पर्यटक यात्राओं और 3.14 करोड़ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आने के साथ, भारत में घरेलू पर्यटन 2019 में चरम पर पहुंच गया. यह 2001 के बाद से देखा गया उच्चतम स्तर था. यह मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए हालिया आंकड़े हैं.
केंद्र सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो के ट्विटर हैंडल ने 7 अक्टूबर को ट्वीट किया कि भारत वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ट्रेवल एंड टूरिज्म कॉम्पेटिटिवनेस इंडेक्स 2019 में छलांग लगाते हुए 34वें स्थान पर पहुंच गया. साल 2013 में भारत 65वें स्थान पर था.
हालांकि कोविड महामारी ने मजबूत होती इस रैंक को रोक दिया. यहां तक कि घरेलू पर्यटकों की विजिट की संख्या भी 61 करोड़ तक गिर गई और 2020 में सिर्फ 71.7 लाख अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों तक सिमट कर रह गया. लेकिन पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भले ही 2021 में भारत की अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं और भी कम होकर सिर्फ 10.5 लाख तक सिमट कर रह गईं हों, घरेलू यात्राओं में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई और ये 67.7 करोड़ तक पहुंच गई.
पिछले वर्ष की तुलना में 2021 में अरुणाचल प्रदेश (140 प्रतिशत), जम्मू और कश्मीर (349 प्रतिशत), लक्षद्वीप (290 प्रतिशत), लद्दाख (4,394 प्रतिशत) और मेघालय (524 प्रतिशत) में ट्रिपल-डिजिट और यहां तक कि चौगुनी-अंकों की वृद्धि देखी गई.
इसके पीछे सरकार के कदम
बेजबरुआ के मुताबिक, डोमेस्टिक टूरिज्म के मजबूत होने के पीछे कई कारण हैं.
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने ‘देखो अपना देश अभियान’ बड़े पैमाने पर शुरू किया है. साथ ही त्यौहारों का मौसम चल रहा है, जो आगे भी चलता रहेगा और तीसरा सबसे बड़ा कारण लोगों में महामारी का डर धीरे-धीरे कम होते जाना है. इसलिए, उम्मीद है कि मार्च 2023 तक हमें घरेलू पर्यटन में बहुत मजबूत वापसी देखने को मिलेगी.’
24 जनवरी 2020 को शुरू किया गया ‘देखो अपना देश’ पर्यटन मंत्रालय का एक अभियान है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2019 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की गई अपील के अनुरूप है. अपने भाषण में उन्होंने भारत में घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर नागरिकों से 2022 तक देश के कम से कम 15 जगहों का दौरा करने के लिए कहा था.
पर्यटन से जुड़े अन्य संगठन भी इस बात से सहमत हैं कि सरकार की ओर से उठाए गए कदम ने घरेलू पर्यटन को तेजी से आगे बढ़ने में एक बड़ी भूमिका निभाई है.
आतिथ्य, प्रौद्योगिकी और पर्यटन उद्योग परिसंघ के महासचिव अनवर शिरपुरवाला ने कहा, ‘सरकार की तरफ से घरेलू पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए काफी महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं. प्रधानमंत्री ने स्वयं भारतीयों को नई जगहों पर घूमने जाने और अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को उबारने में योगदान देने और लाखों नौकरियों को बचाने के लिए देश के भीतर यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित किया है.’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम भी भारत में पर्यटन क्षेत्र के निरंतर विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ है.’
शिरपुरवाला ने समझाया, इन प्रयासों की वजह से तीसरी लहर को नियंत्रित करने में मदद मिली. इस कारण पर्यटन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई. घर पर रहते हुए ऑफिस का काम करने का विकल्प हो या फिर एक दिन की छुट्टी, उन्होंने घूमने का एक भी मौका नहीं गंवाया, क्योंकि लगभग दो साल तक अपने घरों में कैद रहने के बाद लोग ऊब गए थे. वे घर से बाहर निकलना चाहते हैं.’
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