नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) आयकर विभाग ने सोमवार को कहा कि उसने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वेतनभोगी कर्मचारियों के भुगतान किये गये किराये और प्राप्तकर्ता को मिली राशि के बीच अंतर पाया है। विभाग ने उच्च मूल्य वाले मामलों में आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने उन रपटों का खंडन किया कि विभाग आवास किराया भत्ता (एचआरए) के मामलों को फिर से खोलने के लिए एक विशेष अभियान चला रहा है। किरायेदार के भुगतान किये गये किराये और प्राप्तकर्ता को मिले किराये का सत्यापन किया गया था। ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है।
सीबीडीटी ने बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कर्मचारी द्वारा भुगतान किये गये किराये और प्राप्तकर्ता को मिली राशि के बीच विसंगतियों वाले कुछ उच्च मूल्य के मामलों में आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था।
यह सत्यापन काफी कम मामलों में किया गया था और बड़ी संख्या में मामलों को दोबारा नहीं खोला गया है।
इसमें कहा गया है कि ई-सत्यापन का उद्देश्य दूसरों को प्रभावित किये बिना केवल वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जानकारी में विसंगतियों से जुड़े मामलों के बारे में सचेत करना था।
सीबीडीटी ने कहा कि करदाता की तरफ से दायर किये गये रिटर्न और आयकर विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के बीच अंतर होने के कुछ मामले विभाग के नोटिस में आये हैं। यह कुछ और नहीं बल्कि आंकड़ों के सत्यापन के लिए नियमित तौर पर उठाये जाने वाले कदमों का हिस्सा है।
ऐसे मामलों में, विभाग ने करदाताओं को सचेत किया है ताकि वे सुधारात्मक कदम उठा सकें।
आवास किराया भत्ता वेतन आय या सीटीसी का हिस्सा होता है। इसकी गणना कर योग्य आय में की जाती है। हालांकि, यदि कोई कर्मचारी किराये के आवास में रहता है, तो वह वैध किराया रसीद जमा करके वर्ष के दौरान प्राप्त एचआरए के लिए आयकर छूट का दावा कर सकता है।
हालांकि, यदि करदाता नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें कोई छूट नहीं मिलती है।
भाषा रमण अजय
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