scorecardresearch
Wednesday, 1 January, 2025
होमदेशअर्थजगतमौद्रिक नीति मामले में उदार रुख की वजह से रिवर्स रेपो दर नहीं बढ़ाई : दास

मौद्रिक नीति मामले में उदार रुख की वजह से रिवर्स रेपो दर नहीं बढ़ाई : दास

Text Size:

मुंबई, 10 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि रिवर्स रेपो दर में वृद्धि नहीं किये जाने का प्रमुख कारण मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का नीतिगत मामले में उदार रुख बनाये रखना है।

दास ने यह भी कहा कि रिवर्स रेपो दर के लिये भारांश औसत दर चार फरवरी को 3.87 प्रतिशत तक रही। जबकि अगस्त, 2021 में यह 3.37 प्रतिशत थी। उन्होंने इसके जरिये संकेत दिया कि रिजर्व बैंक के नकदी संबंधी उपायों से रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में अंतर कम हो रहा है।

मौद्रिक नीति से पहले कई विश्लेषक रिवर्स रेपो दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे। अगर ऐसा होता, तो इससे स्थिति सामान्य होने का पता चलता। बजट में व्यय में वृद्धि, कच्चे तेल के दाम में तेजी से मुद्रास्फीति के निकट भविष्य में बढ़ने को लेकर चिंता तथा दुनिया के अन्य प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में वृद्धि को इसका कारण बताया जा रहा था।

मौद्रिक नीति बयान के बाद दास ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि दरें मौद्रक नीति को लेकर रुख को बताती हैं और एमपीसी ने उदार रुख बरकरार रखने का निर्णय किया।

उन्होंने कहा, ‘‘जब रुख वही बना हुआ है, तब हमें दरों में बदलाव का कोई कारण नहीं दिखता।’’

दुनिया के अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों के कदम के बारे में दास ने कहा कि सभी मौद्रिक प्राधिकरणों के रुख ‘अलग-अलग’ होते हैं। यह रुख घरेलू स्थिति पर निर्भर करता है। केंद्रीय बैंक ने भी घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखकर कदम उठाया है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति भी महत्वपूर्ण है। यह अलग-अलग देशों में भिन्न है।

डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति दबाव का कारण पुरानी यानी सेकंड हैंड कारों और यूरोप में माल ढुलाई के दाम में बढ़ना है। इससे भारत पर कोई असर नहीं पड़ता।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अन्य देशों के विपरीत भारत में मजदूरी या किराये के स्तर पर कोई महंगाई दर नहीं है। इसका मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) में योगदान है।

मुद्रास्फीति अनुमान के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा कि 2022-23 में इसके 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विभिन्न स्थितियों का आकलन कर यह अनुमान लगाया गया है।

हालांकि, उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि इस आकलन में वैश्विक कच्चे तेल के दाम के बारे में क्या अनुमान रखा गया है।

वृद्धि के बारे में दास ने कहा कि प्रक्रिया सकारात्मक है और वास्तव में तेजी आ रही है। लेकिन जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि आंकड़ों पर तुलनात्मक आधार का प्रभाव पड़ता है। इससे आंकड़ा कम या ज्यादा हो सकता है।

केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है। यह 2021-22 में 9.2 प्रतिशत के पूर्वानुमान से कम है।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments