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Thursday, 21 November, 2024
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क्या नोटबंदी से हुआ फायदा? 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या में हुई कई गुना बढ़ोत्तरी

वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया कि सरकार ने नकली नोटों की घटनाओं को कम करने के लिए नोटबंदी लागू की. लेकिन, ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि उच्च मूल्य की मुद्रा की जालसाजी में तेजी से वृद्धि हुई है.

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नई दिल्ली: सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2016 में नोटबंदी के बाद शुरू किए गए 500 रुपये के नोट और 2,000 रुपये के नोटों की नई सीरीज़ कुल नकली नोटों की संख्या का लगभग 50 प्रतिशत है.

उल्लेखनीय रूप से, नई सीरीज़ के 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या 2018-19 और 2023-24 के बीच लगभग चार गुना बढ़ गई है, जबकि 2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या में हाल ही में उछाल आया है और यह 2022-23 से अब तक लगभग तीन गुना बढ़ गया है. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि नोटबंदी करने और नए तरह के नोट लाने के पीछे का सबसे मुख्य कारण काउंटरफीटिंग या नकली नोटों को खत्म करना बताया गया था.

वित्त मंत्रालय द्वारा एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा को प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार, बैंकिंग प्रणाली द्वारा पकड़े गए या जब्त किए गए कुल नकली नोटों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में कम हुई है. यह 2018-19 में 3.2 लाख नोटों से घटकर 2023-24 में 2.2 लाख नोट हो गई है.

Infographic: Wasif Khan | ThePrint
इन्फोग्राफिकः वासिफ खान । दिप्रिंट

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने जवाब में कहा, “(नकली नोटों को कम करने के लिए) उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप बैंकिंग प्रणाली में मूल्यवर्ग के अनुसार पकड़े गए/रिपोर्ट किए गए नकली नोटों की संख्या में कमी आई है, जो वर्ष 2018-19 में 3,17,384 से घटकर वर्ष 2023-24 में 2,22,639 हो गई है.”

उन्होंने कहा, “सरकार अपनी विभिन्न एजेंसियों और भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से समय-समय पर देश में नकली नोटों के उपयोग और प्रचलन को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाती है. नोटों में समय-समय पर सुरक्षा के नए फीचर्स भी जोड़े जाते हैं, ताकि उनकी जालसाजी की संभावनाओं को कम किया जा सके.”

अधिक मूल्य के नकली नोट

Infographic: Wasif Khan | ThePrint
इन्फोग्राफ़िक: वासिफ खान | दिप्रिंट

हालांकि, डेटा से पता चलता है कि पकड़े गए नकली नोटों की संख्या में कमी 100 रुपये के नकली नोटों में कमी के कारण आई है, जबकि पकड़े गए नकली 500 और 2,000 रुपये के नोटों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है.

2018-19 में 100 रुपये के नकली नोटों की संख्या सबसे ज्यादा थी. उस साल 2.2 लाख नकली नोटों को पहचान की गई, जो कि उस साल पकड़े गए सभी नकली नोटों का लगभग 70 प्रतिशत था. उसके बाद से नकली नोटों की कुल संख्या और उसमें इसकी हिस्सेदारी के मामले में इसमें भारी गिरावट आई है. 2023-24 में 100 रुपये के नकली नोटों की संख्या 66,130 थी, जो उस साल पकड़े गए कुल नकली नोटों का सिर्फ़ 30 प्रतिशत था.

दूसरी ओर, 2016 में बंद किए गए नोटों की जगह पर जारी नए तरह के 500 रुपये के नोट को लेकर जालसाजी की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है. इन नकली नोटों की संख्या 2018-19 में 21,865 से बढ़कर 2023-24 में 85,711 हो गई, जो लगभग चार गुना है.

हर साल पकड़े गए नकली नोटों की कुल संख्या में 500 रुपये के नए सीरीज के नोटों की हिस्सेदारी इस अवधि में 6.9 प्रतिशत से बढ़कर 38.5 प्रतिशत हो गई.

वहीं नोटबंदी के बाद जारी किए गए और अब बंद हो चुके 2000 रुपये के नए नोटों की जालसाजी में 2018-19 और 2022-23 के बीच कमी देखी गई और इसकी संख्या 21,847 से घटकर 9,806 रह गई, लेकिन फिर 2023-24 में पकड़े गए नकली नोटों की संख्या में फिर से उछाल आया और इनकी संख्या 26,035 हो गई.

2023-24 में पकड़े गए सभी नकली नोटों में 2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत थी, जबकि एक साल पहले यह 4 प्रतिशत से थोड़ा अधिक थी.

नोटबंदी का मुख्य लक्ष्य अभी भी प्राप्त नहीं हुआ

इन निष्कर्षों से पता चलता है कि नोटबंदी का एक उद्देश्य – नकली नोटों को कम करना – हासिल नहीं हुआ है.

चौधरी ने राज्यसभा को बताया, “भारत सरकार ने आरबीआई के परामर्श से 8 नवंबर, 2016 तक जारी किए गए 500 और 1,000 रुपये के बैंक नोटों की वैध मुद्रा प्रकृति (Legal tender character) को वापस ले लिया है, ताकि नकली भारतीय मुद्रा नोटों की घटनाओं को कम किया जा सके.”

अब, नकली 500 और 2,000 रुपये के नोटों की पहचान में वृद्धि के लिए एक तर्क यह हो सकता है कि इन नोटों पर सुरक्षा उपाय काम कर रहे हैं और नकली नोटों को अधिक प्रभावी ढंग से पकड़ा जा रहा है. हालांकि, इससे यह पता नहीं चलता कि कुल नकली नोटों की संख्या में कमी क्यों आई है.

यानी, अगर सरकार नकली नोटों को पकड़ने में बेहतर हो रही है, तो उसे कम नहीं बल्कि अधिक संख्या में नकली नोटों को पकड़ना चाहिए. दूसरी ओर, अगर कुल मिलाकर नकली नोटों में कमी आ रही है, तो सवाल यह है कि यह विशेष रूप से 500 और 2,000 रुपये के नोटों के लिए क्यों बढ़ रही है.

ये मुद्दे विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं क्योंकि चौधरी के उत्तर के अनुसार, आरबीआई ने न केवल 2,000 और 500 रुपये के मूल्यवर्ग की नई सीरीज़ जारी की है, बल्कि 200 रुपये, 100 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये और 10 रुपये के नोटों की भी नई सीरीज़ भी जारी की है – जिनमें से सभी में जालसाजी को रोकने संबंधी फीचर्स बढ़ाए गए हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

 

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