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Saturday, 21 September, 2024
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कोविड टीके पर पेटेंट छूट से विकासशील देशों को होगा फायदाः गोयल

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नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की हाल ही में संपन्न बैठक में बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) से पांच साल की छूट देने पर सहमति बनने से विकासशील देशों को कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए पेटेंट वाले टीकों का विनिर्माण करने में मदद मिलेगी।

गोयल ने कहा कि भारत के पास पहले से ही कई कोविड-रोधी टीके हैं और वह अन्य विकासशील देशों को ऐसे टीके बनाने में मदद कर सकता है।

डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों ने जिनेवा बैठक में कोविड टीकों के विनिर्माण के लिए पेटेंट अधिकार पर पांच साल की अस्थायी छूट देने पर सहमति व्यक्त की है। इसके तहत कोई देश अपनी घरेलू दवा कंपनियों को मूल टीका विनिर्माता से मंजूरी लिए बिना ही वह टीका बनाने के लिए अनिवार्य लाइसेंस जारी कर सकेगा। इसके अलावा उन टीकों के निर्यात की अनुमति देने का भी निर्णय किया गया।

हालांकि इस छूट के दायरे में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने इलाज पद्धति और नैदानिक समाधानों को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा था जिस पर बातचीत छह महीने बाद शुरू होगी।

गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे पास समुचित प्रकार के टीके हैं लिहाजा कोविड-19 टीकों के मौजूदा प्रकारों के लिए हमें इस ट्रिप्स छूट की जरूरत नहीं है। हमने अन्य विकासशील देशों के लिए टीका बनाने को लेकर इसका समर्थन किया है।’

उन्होंने कहा कि भारत ने कई विकासशील देशों को यह भी पेशकश की है कि यदि वे अपने देश में कोविड टीकों का उत्पादन करना चाहते हैं तो भारतीय फार्मा कंपनियां वहां इकाइयां स्थापित करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और खुश’ हैं।

मंत्री ने कहा, ‘भविष्य में जब इलाज पद्धति और नैदानिक समाधान भी पेटेंट छूट के दायरे में आते हैं तो हम इस ट्रिप्स छूट का उपयोग भारत में पेटेंट वाली विदेशी प्रौद्योगिकियों के साथ इसका निर्माण शुरू करने के लिए कर सकते हैं।’

कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी के मसले पर गोयल ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूटीओ सम्मेलन में किसानों और मछुआरों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की है।

उन्होंने कहा, ‘हम किसी दबाव में नहीं आए। हम ‘डील मेकर’ के रूप में जाने जाते हैं, ‘डील ब्रेकर’ के रूप में नहीं। हम अपने मुद्दों पर अडिग रहते हैं। भारतीय किसान पूरी तरह से सुरक्षित हैं।’

कृषि पर उन्होंने कहा कि भारत के सार्वजनिक अन्न भंडारण, न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से खरीद और किसानों को दिए जाने वाले समर्थन पर कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा।

हालांकि इस बैठक में खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने और भारतीय खाद्य निगम के भंडार से खाद्यान्न की सरकार-से-सरकार के स्तर पर बिक्री की अनुमति सहित कई मुद्दों का कोई हल नहीं निकल पाया है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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