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शुक्रवार, 27 जून, 2025
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धमकियों के बावजूद ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को कभी बंद नहीं कियाः विश्लेषक

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नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) वैश्विक तेल एवं गैस परिवहन के लगभग पांचवें हिस्से और भारत की एक-तिहाई से अधिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने वाला रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज जलडमरूमध्य कभी बंद नहीं हुआ है और ईरान ने सिर्फ कूटनीतिक दबाव के लिए इसे बंद करने की धमकी दी है। विश्लेषकों ने यह कहा है।

उनका यह भी कहना है कि पेट्रोलियम उत्पादों की अच्छी आपूर्ति है और मौजूदा ईरान-इजराइल संघर्ष के बावजूद वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य के समक्ष कोई खतरा नहीं है।

होर्मुज जलडमरूमध्य ईरान, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच स्थित है और यह सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत एवं यूएई से तेल निर्यात का मुख्य मार्ग है। कतर से आने वाले कई तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) जहाज भी इसी मार्ग से गुजरते हैं।

यस सिक्योरिटीज में संस्थागत इक्विटी शोध के रणनीतिकार हितेश जैन ने कहा कि ईरान इस जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकियों का इस्तेमाल केवल एक कूटनीतिक दबाव के तौर पर करता है, क्योंकि इसे बंद करने की रणनीतिक एवं आर्थिक लागत खुद ईरान पर ही अधिक भारी पड़ेगी।

जैन ने कहा कि तेल बाजार में फिलहाल अच्छी आपूर्ति है। तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक की 40 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) की क्षमता बढ़ाने और संघर्ष शुरू होने के पहले 90 लाख बीपीडी का वैश्विक अधिशेष होने से एक महत्वपूर्ण बफर बना हुआ है। इसके अलावा अमेरिकी शैल तेल के उत्पादन में वृद्धि ने भी वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में लचीलापन बढ़ाया है।

मांग के मोर्चे पर, महामारी के बाद चीन में आर्थिक पुनरुद्धार कमजोर रहने और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की ओर संरचनात्मक बदलाव होने से भी वैश्विक तेल मांग के अनुमानों नरम पड़ रहे हैं।

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 70-80 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने का अनुमान जताया है। हालांकि पश्चिम एशिया में लगातार तनाव बने रहने की सूरत में कच्चे तेल के दाम इस अनुमान से अधिक जा सकते हैं।

इक्रा ने कहा, ‘कच्चे तेल की औसत कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होने पर वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान शुद्ध तेल आयात बिल में 13-14 अरब डॉलर की वृद्धि हो जाएगी। ऐसा होने पर देश के चालू खाता घाटा में 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाएगी।’

भारत अपनी तेल जरूरतों को 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आयात से पूरा करता है। ऐसे में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से उसके आयात बिल पर सीधा असर पड़ेगा।

जैन ने कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद न किए जाने या खाड़ी के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमला न होने तक कच्चे तेल का 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाना मुश्किल है।

होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरने वाला तेल भारत के कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 40-45 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस आयात का 60 प्रतिशत है।

इक्रा ने चेतावनी दी है कि पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने का पेट्रोलियम उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति और कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

ईरान का कच्चे तेल का उत्पादन लगभग 33 लाख बीपीडी है जिसमें से वह 18-20 लाख बीपीडी तेल का निर्यात करता है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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