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Tuesday, 12 August, 2025
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शुल्क अंतर बढ़ाये जाने के बावजूद सीपीओ से बने पामोलीन की लागत से कम दाम पर बिक्री

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नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) घरेलू तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार आया जबकि सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट जारी है।

बाजार सूत्रों के अनुसार, मूंगफली तेल-तिलहन और सोयाबीन तेल के भाव स्थिर बने रहे। वहीं, आयात किये गये सीपीओ से बने पामोलीन की, लागत से कम दाम पर बिकवाली एक समस्या बनकर उभरी है।

मलेशिया एक्सचेंज दोपहर 3.30 बजे सुधार के साथ बंद हुआ। जबकि शिकागो एक्सचेंज में घट-बढ़ जारी है जो कल रात 1.5 प्रतिशत से भी अधिक मजबूत बंद हुआ था।

सूत्रों ने कहा कि प्रमुख तेल संगठनों की एक विशेष मांग पर गौर फरमाते हुए सरकार ने पाम-पामोलीन के बीच का शुल्क अंतर पर्याप्त रूप से बढ़ा दिया था ताकि स्थानीय खाद्यतेल प्रसंस्करण उद्योगों के हितों की रक्षा हो सके।

उन्होंने कहा कि कुछ ही माह पूर्व सीपीओ पर आयात शुल्क को पहले के 27.5 प्रतिशत से घटाकर 16.5 प्रतिशत किया गया जबकि पामोलीन तेल के आयात शुल्क को 36.25 प्रतिशत पर पूर्ववत बनाये रखा गया। इसका मकसद अपेक्षाकृत सस्ते पामोलीन तेल के आयात को हतोत्साहित कर सीपीओ का आयात प्रोत्साहित करना था ताकि स्थानीय प्रसंस्करण मिलें काम जारी रख सकें।

लेकिन अब तेल संगठनों को इन शिकायतों की ओर ध्यान देने की जिम्मेदारी लेनी होगी कि स्थानीय मिलों में कच्चे पामतेल (सीपीओ) से बने पामोलीन के साथ साथ सोयाबीन डीगम को आयात की लागत से कम दाम पर क्यों बेचा जा रहा है? उन्हें देखना होगा कि बैंकों में अपना ‘लेटर आफ क्रेडिट’ (ऋण साखपत्र) चलाते रहने के लिए आयातकों को किस मजबूरी में लागत से कम दाम पर सीपीओ से बने पामोलीन और सोयाबीन डीगम तेल को बेचना पड़ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि आवक और उपलब्धता कम रहने के साथ त्योहारों की मांग को देखते हुए सोयाबीन तिलहन के दाम में अपने पूर्व के कारोबारी सत्र के मुकाबले सुधार आया। इस सुधार के बावजूद अभी भी सोयाबीन तिलहन का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे ही चल रहा है।

उन्होंने कहा कि अक्टूबर के आसपास सोयाबीन की नई फसल बाजार में आ जायेगी। सोयाबीन का भविष्य, उससे निकलने वाले डी-आयल्ड केक (डीओसी) से निर्धारित होता है जिसका मुख्यत: उपयोग मुर्गीदाने के रूप में होता है।

अब स्थिति यह है कि लागत के लिहाज से डीओसी का स्थानीय दाम ऊंचा होने के कारण विदेशों में इसका बाजार सिमटा है और स्थानीय मांग भी सीमित ही है। ऐसे में इस बात का ध्यान देना होगा कि डीओसी की प्रतिस्पर्धात्मकता कायम करने के लिए किन उपायों की जरुरत होगी।

त्योहारी मांग के बीच कम कीमत पर हो रही बिकवाली की वजह से सोयाबीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज मजबूत रहने से सीपीओ और पामोलीन के दाम भी अपने पूर्व सत्र के मुकाबले मजबूत बंद हुए।

पर्याप्त त्योहारी मांग और कम उपलब्धता के कारण बिनौला तेल के दाम में भी सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्यतेलों से ऊंचा दाम होने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट जारी रही। वहीं सुस्त कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,200-7,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,700-6,075 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,615-2,715 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,615-2,750 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,225 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,380 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,875-4,925 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,575-4,675 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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