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Sunday, 22 December, 2024
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नोटबंदी: अरुण जेटली ने कहा- कैश जब्त करना नहीं, औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना था मकसद

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नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सरकार के इस कदम का जोरदार तरीके से बचाव किया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी को देश के लिए महत्वपूर्ण फैसलों में से एक बताया.

नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल पूरे होने के मौके पर जहां एक तरफ विपक्ष हमलावर दिखा तो केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सरकार के इस कदम का जोरदार तरीके से बचाव किया.

अपने फेसबुक पोस्ट में अरुण जेटली ने कहा, ‘आज हमने नोटबंदी के दो साल पूरे कर लिए हैं. नोटबंदी सरकार के अहम फैसलों की एक कड़ी है जो अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए ज़रूरी है. सरकार ने इसके जरिए देश से बाहर मौजूद कालेधन को निशाना बनाया. संपत्ति धारकों से कहा गया कि वह दंड का भुगतान करके उस पैसे को वापस लेकर आएं.’

उन्होंने कहा, ‘बैंकों में लगभग पूरी नकदी जमा हो जाने पर भले आलोचना हो रही है, मगर नोटबंदी का फैसले के पीछे नोटों को जब्त करने का ऐसा कोई उद्देश्य था ही नहीं, बल्कि सभी कैश को बैंक खातों के जरिए औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने का मकसद था. इस नाते नोटबंदी की आलोचना का कोई आधार ही नहीं है. हम चाह रहे थे कि लोग टैक्स के दायरे में आए. हमें कैशलेस इकॉनमी से डिजिटल लेन-देन की दुनिया में आना था. नोटबंदी से ज़्यादा टैक्स रेवेन्यू जमा करने और टैक्स बेस को बढ़ाने में मदद मिल रही है.’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘जो लोग कालेधन को वापस लाने में असफल रहे उनपर काला धन अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है. उन सभी खातों और संपत्तियों की जानकारी सरकार के पास पहुंची और फिर उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई. नोटबंदी की वजह से लोगों को कैश बैंक में जमा करने पर मजबूर होना पड़ा. जिसके चलते 17.42 लाख खाता धारक संदिग्ध मिले. जिनसे बिना किसी सख्ती के ऑनलाइन माध्यम से प्रतिक्रिया प्राप्त हुईं.’

अरुण जेटली ने आगे कहा, ‘उल्लंघन करने वालो को सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा. बैंकों में जमा हुई बड़ी राशियों की वजह से बैंक की उधार देने की क्षमता में सुधार हुआ. इसमें से बहुत सी राशि को आगे के निवेश के लिए म्यूचुअल फंड्स में लगाया गया. यह औपचारिक प्रणाली का हिस्सा बन गया है. वित्त वर्ष 2018-19 में पर्सनल इनकम टैक्स पिछले साल की तुलना में 20.2 प्रतिशत ज्यादा रहा. वहीं कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन 19.5 प्रतिशत ज्यादा रहा. नोटबंदी से दो साल पहले डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में क्रमशः 6.6 और 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.’

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘सरकार ने इस संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर आधारभूत ढांचा, सोशल सेक्टर और ग्रामीण भारत के लिए किया है. हम सड़क से जुड़े गांवों को देख सकते हैं. हर घर में बिजली, 92 प्रतिशत गांवों में स्वच्छता कवरेज, सफल आवास योजना, 8 करोड़ गरीब घरों में गैस कनेक्शन, आयुष्मान भारत में दस करोड़ परिवार शामिल हैं. रु। फूड सब्सिडी पर 1,62,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. किसानों के लिए एमएसपी में 50 प्रतिशत की वृद्धि और सफल फसल बीमा योजना.सातवें वेतन आयोग को हफ्तों के भीतर लागू किया गया था और ओआरओपी लागू किया गया था.’

नोटबंदी के प्रभाव बताते हुए जेटली ने आखिर में लिखा, ‘अधिक औपचारिकता, अधिक राजस्व, गरीबों के लिए अधिक संसाधन, बेहतर बुनियादी ढांचा और हमारे नागरिकों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता.’

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