नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने फ्लेक्स (वैकल्पिक) ईंधन का उपयोग करने वाले वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुरूप ही पांच प्रतिशत का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की मांग की। इससे वाहनों के लिए ईंधन के रूप में पेट्रोल के साथ एथनॉल के मिश्रण को अपनाने में तेजी आएगी।
फ्लेक्स ईंधन वाहन (एफएफवी) विभिन्न स्तरों पर पेट्रोल और एथनॉल के मिश्रण का उपयोग करते हैं। भारत ने ई-10 (पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण) को हासिल कर लिया है और 2025 तक ई-20 का लक्ष्य रखा है।
ईस्मा ने बयान में कहा कि मौजूदा समय में एफएफवी पर 28 प्रतिशत का जीएसटी लगता है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत है।
इसमें कहा गया है कि यह कदम सीधे तौर पर भारत के ईंधन बिल को कम करने में योगदान देगा और साथ ही परिवहन क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन पर भी अंकुश लगाएगा।
इस्मा ने एफएफवी जीएसटी में छूट के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को एक ज्ञापन दिया है।
इस्मा के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने कहा, ‘‘मौजूदा समय में एफएफवी पर 28 प्रतिशत की जीएसटी दर लगाई जाती है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों पर लागू पांच प्रतिशत जीएसटी दर के उलट है। हम एफएफवी के लिए जीएसटी छूट में समानता लाने का अनुरोध करते हैं।’’
झुनझुनवाला ने कहा, ‘‘एफएफवी के लिए कर कटौती की पेशकश से पर्यावरण-अनुकूल वाहनों को स्वीकार्यता बढ़ेगी।’’
सरकार नवंबर में समाप्त होने वाले 2022-23 एथनॉल आपूर्ति वर्ष के लिए पेट्रोल के साथ एथनॉल के 12 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य बना रही है। पेट्रोलियम विपणन कंपनियां (ओएमसी) चीनी मिलों से बड़ी मात्रा में एथनॉल खरीदती हैं। चावल और मक्के से भी एथनॉल का उत्पादन किया जा रहा है।
भाष राजेश राजेश अजय
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