दावोस, 17 जनवरी (भाषा) डेलॉयट इंडिया ने बुधवार को टिकाऊ, समावेशी और सुलभ सॉफ्टवेयर विकास के लिए एक ‘एंटरप्राइज कॉन्शियस कोड’ पहल की शुरुआत की।
इस पहल का मकसद सॉफ्टवेयर से होने वाले उत्सर्जन में 30 प्रतिशत तक की कटौती करना है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक 2024 के मौके पर यहां कोड को पेश करते हुए डेलॉयट इंडिया ने कहा कि यह पहल टिकाऊ और जिम्मेदार सॉफ्टवेयर विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
परामर्श फर्म ने कहा कि इससे कार्बन उत्सर्जन कम करने, ऊर्जा जागरूकता बढ़ाने और ऊर्जा तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के वैश्विक प्रयासों में मदद मिलेगी।
डेलॉयट इंडिया ने कहा कि एंटरप्राइज कॉन्शियस कोड (ईसीसी) किसी कंपनी की जरूरत की हर चीज को आपस में जोड़ती है। इसमें मुनाफे के साथ ही सामाजिक और पर्यावरण संबंधी पक्ष शामिल हैं।
इस समय दुनिया में लगभग तीन प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र के कारण होता है, जो प्रति वर्ष लगभग 1.58 अरब टन के बराबर है।
डेलॉयट दक्षिण एशिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रोमल शेट्टी ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी उद्योग के सतत विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में हमें इस नई पहल को शुरू करने पर गर्व है। प्रौद्योगिकी के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की हमारी जिम्मेदारी के साथ ही नवाचार को बढ़ावा मिलना चाहिए।’’
भाषा पाण्डेय अजय
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