नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) छह गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस के दायरे में बाहर रखने से देश में 5जी एडवांस और 6जी सेवाएं प्रभावित होंगी और सरकारी खजाने को नुकसान होगा। दूरसंचार उद्योग निकाय सीओएआई ने दूरसंचार विभाग को आगाह करते हुए यह बात कही।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने दूरसंचार सचिव अपूर्व चंद्रा को 10 अगस्त को लिखे पत्र में दूरसंचार विभाग से छह गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को नीलामी में शामिल करने का अनुरोध किया है।
निकाय ने वैश्विक स्तर पर मोबाइल दूरसंचार के लिए इसके आवंटन का समर्थन भी किया। सीओएआई के सदस्यों में भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया शामिल हैं।
सीओएआई ने कहा कि छह गीगाहर्ट्ज बैंड आईएमटी (अंतरराष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार) के लिए मध्य-बैंड में उपलब्ध एकमात्र अतिरिक्त स्पेक्ट्रम है, जो पहले ही नीलामी में रखा जा चुका है।
सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर ने पत्र में कहा, ‘‘इसलिए, यह भारत में 6जी की शुरुआत के मसौदे सहित 5जी और उससे आगे की प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्पेक्ट्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत 6जी के लिए एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है। स्पेक्ट्रम के इस महत्वपूर्ण हिस्से को लाइसेंस-मुक्त करने से भारत में 5जी और 6जी लागू करने में गंभीर बाधा आएगी।’’
उद्योग निकाय ने यह भी कहा कि छह गीगाहर्ट्ज बैंड को आसानी से उपलब्ध कराने की वाईफाई सेवा प्रदाताओं की मांग पर ध्यान देने से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा।
भाषा पाण्डेय अजय
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