नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को कारोबार में गिरावट का रुख रहा। विदेशों में गिरावट के रुख और सस्ते आयातित तेलों की भरमार के कारण देशी तेल-तिलहनों के भाव में भारी गिरावट आई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में भाव टूटने के बाद यहां सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में पर्याप्त गिरावट आई। जबकि सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन तथा डीआयल्ड केक (डीओसी) की मांग होने के कारण सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात गिरावट के साथ बंद हुआ और फिलहाल यहां मामूली तेजी है।
उन्होंने बताया कि तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण विदेशों में बाजार का टूटना है।
सूत्रों ने कहा ब्राजील में सोयाबीन की बंपर फसल है और देश में आमतौर पर सोयाबीन से ऊंचा रहने वाले सूरजमुखी तेल का भाव फिलहाल सोयाबीन से नीचे चल रहा है। देश के सोपा सहित अन्य प्रमुख तेल संगठनों ने सस्ते आयातित तेलों पर लगाम लगाने के लिए सरकार से आयात शुल्क लगाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने से देश के तेल कारोबार और किसानों को नुकसान होगा जो अंतत: देश के आत्मनिर्भरता के सपने के लिए घातक हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि हमें सूरजमुखी की खेती से सबक सीखना होगा। कभी देश में सूरजमुखी बीज की पैदावार 27 लाख टन की हुआ करती थी जो अब घटकर 2.5 – 3 लाख टन रह गई है। अगर मौजूदा स्थिति को देखें तो बाजार में सरसों की नयी फसल आना चालू हो गयी है और सरसों की पैदावार भी बंपर है। पहले से सोयाबीन का भी स्टॉक बचा हुआ है। सस्ते आयातित तेलों के दाम नीचे बने रहने की स्थिति को देखते हुए यह तय है कि बिनौला और अन्य देशी तिलहन बाजार में खपेंगे नहीं। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले दिनों में किसानों को तिलहन की खेती से विमुख होने का खतरा पैदा हो सकता है जैसा कि सूरजमुखी के मामले में हो चुका है।
पिछले साल के अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के महीने में खाद्य तेलों का आयात इससे पिछले साल के लगभग 35 लाख टन के मुकाबले बढ़कर लगभग 50 लाख टन का हो गया है। जनवरी, 2023 में तो खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात हो गया है। ऐसे में देश के तेल-तिलहन उद्योग और किसानों के लिए भारी दिक्कत की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले साल आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेल से सरसों तेल का भाव 30-40 रुपये सस्ता था फिर भी यह पूरी तरह खप नहीं पाया था लेकिन इस बार तो इन आयातित तेलों के भाव सरसों से लगभग 15 रुपये किलो नीचे हैं तो बाजार में सरसों कैसे खपेगा?
सूत्रों ने कहा कि सरकार को तय करना होगा कि वह आत्मनिर्भर बनना चाहेगी या आयात पर पूरा निर्भर होना चाहेगी। एक बार किसानों को अपनी उपज नहीं बिकने का अनुभव हुआ तो आगे वे तिलहन की जगह किसी और फसल की खेती को अपनाना चाहेंगे।
शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,905-5,955 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,450-6,510 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,450 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,420-2,685 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 12,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,965-1,995 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,925-2,050 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,640 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,750 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,270 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,370 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,445-5,575 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,185-5,205 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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